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२०० - सम्यक्त्वपराक्रम ( १ )
प्राचीनकाल में ऐसे बन्धन नहीं थे । उस समय तो वरकन्या की योग्यता और समानता देखो जाती थी । आज यह देखा जाता है कि वर के पास धन है या नही ? - अगर धन हो तो क्या साठ वर्ष का धनिक वृद्ध भी छोटीसी कन्या के साथ विवाह करने को तैयार होता नही देखा जाता ? यह क्या कन्या के ऊपर अत्याचार - अन्याय नही है ? लोकलज्जा के कारण या किसी अन्य कारण से तुम्हे इस विषय मे कुछ कहते सकोच होता होगा, लेकिन समाज का अन्न ग्रहण करने के कारण मुझे तो समाज के हित के लिए बोलना ही पडेगा ! इसलिए मैं तुमसे कहता हू इस प्रकार के वृद्धविवाह, अयोग्यविवाह, अनमेल विवाह आदि समाज - नाशक विवाहों को प्रत्येक उचित उपाय मे रोको । समाज मे इस प्रकार के जो अन्याय हो रहे है, उन्हे अगर तुम नही ही रोक सकते तो कम से कम इतना करो कि अपने आपको इन अन्यायो से जुदा रखो । अन्याय के इन कार्यों मे सहभागी मत बनो । अन्याययुक्त कार्यो से अपने आपको अलग न रख सकने वाला और पुद्गलो के लोभ पर विजय प्राप्त न कर सकने वाला - पुद्गलो का लोभी मनुष्य अत्यन्त शिथिल है । ऐसा ढीला मनुष्य धर्म का पालन किस प्रकार कर सकता है ? वह आत्म-कल्याण के लिए अनगार कैसे बन सकता है
पालित श्रावक का विवाह अन्तर्देशीय ( परदेशीय ) और अन्तर्जातीय (परजातीय) कन्या के साथ हुआ । कुछ समय पश्चात् अपनी उस नवविवाहित पत्नी को लेकर समुद्रमार्ग से पालित अपने घर की ओर रवाना हुआ ।