________________
अध्ययन का प्रारम्भ-५७
है । आजकल लोग फोनोग्राम बजाते हैं, मगर उसके स्वर मे क्या कोयल सरीखी स्वाभाविकता है ? गायक या गायिका, जो भी गाते हैं, या तो पैसे के लोभ से गाते है या सभा के प्रभाव से प्रभावित होकर । मगर कोयल न किसी से प्रभावित होती है, न उसे पैसे ही का लोभ छू गया है । इसलिए कोयल की कूक को कोई साधारण मनुष्य अपना नही सकता, महापुरुष ही उसकी कूक को अपना सकते हैं। जो लोग लोभ से प्रेरित होकर गाते है; उनका गान कोयल की मनोहर तान का मुकाबला कैसे कर सकता है ? कोई कह सकता है कि गायिका के गान से हमारा मनोरजन होता है, मगर ऐसा कहने वाला गायिका के समान विषय का भिखारी ही है। ऐसी स्थिति में अगर उस गान से उसका मनोरजन होता है तो यह स्वाभाविक है। वास्तव मे निरपेक्ष स्वतन्त्रता मे जो बात होती है वह परतत्रता में नहीं हो सकती। कोयल के कूजन में स्वाधीनता है-स्वाभाविक मस्ती है, अतएव उसके कूजन की बराबरी महापुरुष की वाणी ही कर सकती है।
जब कोयल की स्वाधीन वाणी सुनकर ही लोग प्रभावित हो जाते हैं, तो जिन्होने केवलज्ञान प्राप्त कर लिया है उन भगवान् की वाणी से अगर इन्द्र भी प्रभावित हो जाता है तो इसमे आश्चर्य ही क्या है ? भगवान् की वाणी दुन्दुभिनाद के समान है । फिर भी भगवान् की यह इच्छा नही होती कि मेरी वाणी कोई सुने ही। उनकी वाणी सुनकर कोई बोध प्राप्त करे या न करे, वह तो उपदेश देते ही रहते हैं।
___ आठवां प्रातिहार्य-छत्र है । भगवान् जब विचरण