Book Title: Sambodhi 1994 Vol 19
Author(s): Jitendra B Shah, N M Kansara
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 23
________________ 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22. 23. 24. 25. 26. 27. 28. 29. प्रकाशयन्ति । अतश्च सतो व्यामिश्रा हि दृश्यन्ते । केचित् कंसभक्ता भवन्ति, के चिद् वासुदेवभक्तां । वर्णान्यत्वं खलु पुष्यन्ति । केचिद् रख्तमुखा भवन्ति केचित् कालमुखाः । (Mahābhāsya, 3.1.26) Harsacarita, II Ucchvāsa. लसावित्रीषोडशराजौपचारवत् प्रबन्धान्तः । अन्यप्रबोधनार्थं यदुपाख्याति तदाख्यानम् । आख्यानसत्तां तल्लमते यथमिनयन् पठन् गायन् । ग्रन्थिक एकः कथयति गौविन्दवदवहिते सदसि । (Q. in Bhoja's Srigāraprakāśā) MB. Virāta p. 12.37 MB., Aranyaka p., 54.11, 18 Ibid., 54.5 Ibid, Virāta p. 12.4 Karna p. 2.3 धनुज्यतन्त्रिमधरं हिक्कातालसमन्वितम् । मन्दस्तनितसङ्गङ्गीतं तद् यद्गान्धर्वमाबभौ । अथाह पाणिनापाणि माधूनन् सन्दष्टोष्ठो नृत्यति वादयन्निव । (MB, Salya. p. 6.4) See also Rama. Sundara. (X.36) mentioning arghāra, Bāla. IV. 8 mentioning laya, Ayodhyā. 91.27 and Kis 28.35 also mentioning laya, Bāla. IV. 29 mentioning Mārgi. (Ibid. Karna p. 65.13) V. Raghavan: The Vrttis; JOR, VI- 1932, VII- 1933. इयर्ति इत्यराः भटा सौत्साहा: अनलसाः तैषामियं आरमटी कायवृत्तिः केशाः किञ्चिचदत्यर्थक्रियाजातमकुर्वन्तो देहशौभोपयोगिनः तद्वत् सौन्दर्योपयोगी व्यापारः कैशिकी वृत्तिरिति तावन्मुख्यः क्रमः । (Abh. part I, p.20) Mudrārāksasa, Act III. 20, 21. ततौ राजकुले नान्दी संजज्ञे भूयसी पुन: । पाराशर्यशिलालिभ्यां भिक्षुनटसूत्रयोः । See FN 13 above. Harivamśa. ( Rāmā. 6.42.23) (MB, Śāti. p. 83.65) (Asradhāyāyi 4.3.110)

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182