Book Title: Sambdohi Times Chandraprabh ka Darshan Sahitya Siddhant evam Vyavahar
Author(s): Shantipriyasagar
Publisher: Jityasha Foundation
View full book text
________________
- ज़रा बताएँ, दुनिया में सबसे महान चीज़ क्या है? उन्होंने मुस्कुराते विकास एवं आध्यात्मिक उन्नति का महान उद्देश्य छिपा हुआ है। श्री हुए कहा - सद्गुण, जो इंसान को सबसे महान बना देते हैं। युवक ने चन्द्रप्रभ जीवन को वीणा के तारों की तरह साधने की प्रेरणा देते हैं। खुश होकर फिर नई जिज्ञासा रखी कि दुनिया में सबसे सरल काम क्या अतित्याग व अतिभोग की बजाय वे मध्यम मार्ग अपनाने का समर्थन है? उपदेश देना - उन्होंने कहा। यह सुनकर युवक को लगा बात तो करते हैं। उन्होंने 'वीणा के तार' नामक कविता के माध्यम से आम वास्तव में सही है। उसने कहा - गुरुदेव, अब मैं अंतिम जिज्ञासा का जनमानस को अंतर्दृष्टि प्रदान करते हुए लिखा है - समाधान चाहता हूँ कि जीवन में सबसे कठिन काम क्या है? उन्होंने
इतने अधिक कसो मत निर्मम, वीणा के हैं कोमल तार। कुछ पल सोचा और कहा - जीवन में सबसे कठिन काम एक ही है
टूट पड़ेंगे सबके सब वे, कभी न निकलेगी झंकार। जिसे कर लेने पर इंसान इंसान नहीं रहता देवदूत बन जाता है और वह
इतने अधिक करो मत ढीले, रसवन्ती वीणा के तार। है अपने-आपको जानना और अपने स्वभाव को सुधारना ।
कोई राग नहीं बन पाए, निष्फल हो स्वर का संसार ।। यश कामना कैसे जीतें - एक समारोह में आए विशिष्ट मेहमानों की खुले दिल से प्रशंसा की जा रही थी। माला और साफा पहनकर वे
इसी कविता से जुड़ा एक घटना प्रसंग इस प्रकार हैबड़े खुश हो रहे थे। कार्यक्रम के पश्चात् एक व्यक्ति ने श्री चन्द्रप्रभ से
महान कवयित्री महादेवी वर्मा हईं अभिभूत - जितयशा पूछा - क्या सम्मान पाने की कामना को जीता जा सकता है? उन्होंने फाउंडेशन के सचिव प्रकाशचंद दफ्तरी इलाहबाद में देश की महान कहा - इस कामना को जीतना मुश्किल तो है, पर नामुमकिन नहीं। कवयित्री महादेवी वर्मा के पास श्री चन्द्रप्रभ का साहित्य प्रदान करने इसके लिए दो बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए। उसने पछा- गये। महादेवी वर्मा ने श्री चन्द्रप्रभ का साहित्य देख कर कहा - मेरे कौनसी? उन्होंने कहा - मंच पर खुद की तारीफ व सम्मान नहीं पास उनकी किताबें पहले से भी है और यह कहते हुए श्री चन्द्रप्रभ की करवाएँगे, कोई ऐसा कर रहा है तो उसे वैसा न करने का निवेदन करेंगे प्रतीक्षा नाम की काव्य पुस्तिका निकाली और कहने लगी- मैंने इस
और सदा दूसरों को सम्मान देने की भावना रखेंगे क्योंकि सम्मान पाने ___ किताब को पूरा पढ़ा है कोई जैन संत छायावाद पर इतनी अच्छी की नहीं, देने की चीज होती है।
कविताएँ लिख सकता है यह देखकर मैं प्रसन्न हूँ। यह कहते हुए नई कार्यशैली की सीख – एक बहिन श्री चन्द्रप्रभ के दर्शन उन्होंने उसी किताब की एक कविता सबके सामने पढ़नी शुरू की करने आई। उसने श्री चन्द्रप्रभ से कहा - मैं बहुत दुखी हूँ। मेरे घर में जिसके बोल थे 'इतने अधिक कसो मत निर्मम वीणा के हैं कोमल मेरी देवरानी भी है और जेठानी भी, पर घर का काम सबसे ज्यादा मुझे तार... ' सबने देखा कविता सुनाते हुए महादेवी जी भाव-विह्वल हो ही करना पड़ता है। इस कारण मुझे उनसे ईर्ष्या होती है और मैं मन ही उठी थीं। मन जलती रहती हूँ। आखिर मैं ही घर में ज्यादा घिरौँ-पितूं क्यूँ? श्री श्री चन्द्रप्रभ ने सुखी जीवन के लिए भाषाशैली को श्रेष्ठ बनाने एवं चन्द्रप्रभ ने कहा - यह तो अच्छी बात है। बहिन ने कहा - आप भी क्यों माता-पिता की सेवा करने की प्रेरणा एक राजस्थानी गीत के माध्यम से मेरे साथ मजाक कर रहे हैं, यह भला कैसे अच्छी बात हो सकती है। देते हए लिखा है - श्री चन्द्रप्रभ ने कहा - मेरे इस प्रश्न का उत्तर दो कि जो चंदन ज्यादा मीठो-मीठो बोल थारो काई लागै, कांई लागेजी थारो काई लागै। घिसता है उसका क्या उपयोग होता है? बहिन ने कहा - वह तो मंदिर
संसार कोई रो घर नहीं, कद निकलै प्राण खबर नहीं।। में परमात्मा के चरणों में चढ़ता है। श्री चन्द्रप्रभ ने फिर पूछा - जो चंदन
चार दिना रो जीणो है संसार, थारी-मारी छोड़ करां सब प्यार। बिल्कुल भी नहीं घिसता उसका क्या होता है? बहिन ने कहा - उसे
हिलमिल रैवो, हँसखिल जीवो, संसार कोई रो घर नहीं।। श्मशान में किसी अमीर का शव जलाने में काम ले लिया जाता है। श्री चन्द्रप्रभ ने कहा - इसका मतलब है आप मंदिर में चढ़ने वाले चंदन
मात-पिता ने जाणो थे भगवान, उणरी सेवा है प्रभु रो सम्मान। की तरह हैं और काम नहीं करने वाले श्मशान में जलने वाले चंदन की
सेवा करो, आशीष लो।। तरह । याद रखें, जो घिसता है वह परमात्मा तक पहुँचता है और जो जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ कुमार अवस्था में जब निठल्ला बैठा रहता है वह श्मशान में खाक हो जाता है। यह सुन बहिन राजकुमारी राजुल से शादी करने के लिए जाते हैं, पर जब उन्हें पता की आँखों में नई चमक आ गई । उसने कहा- आज से मुझे काम करने चलता है कि बारातियों के भोजन के लिए हजारों पशुओं को बाड़े में की सकारात्मक जीवन-दृष्टि मिल गई।
रखा गया है तो वे उनके करुण-क्रंदन को सुनकर द्रवित हो जाते हैं और जीवंत काव्य के रचयिता
अपने कदम गिरनार की धरती पर संन्यास लेने के लिए बढ़ा देते हैं। यह श्री चन्द्रप्रभ साहित्यकार होने के साथ सिद्धहस्त काव्यकार एवं देखकर राजकुमारी राजुल भी उनका अनुसरण करने को उद्यत हो जाती गीतकार भी हैं। उन्होंने सैकड़ों जीवंत कविताओं एवं भजनों का सृजन है। तीर्थंकर नेमिनाथ और उनकी दासी राजुल की विरह व्यथा के इस किया है। जहाँ उनकी कविताएँ छायावादी एवं रहस्यवादी संस्कारों के प्रसंग को श्री चन्द्रप्रभ ने काव्य के रूप में व्यक्त करते हुए लिखा हैसाथ दर्शन की अनुपम छटा दर्शाती हैं वहीं उनके भक्ति एवं साधना से
जहाँ नेमि के चरण पड़े, गिरनार की धरती है। भरे भजन अंतर्मन को सुकून और जीवन को नई दिशा प्रदान करते हैं। वह प्रेम मूर्ति राजुल, उस पथ पर चलती है।। उनकी कविताएँ कल्पनालोक में विचरण नहीं करती हैं वरन् जीवन के राजुल की आँखों से, झर-झरता पानी। विभिन्न पहलुओं का स्पर्श करती हुई यथार्थपरक चिंतन प्रस्तुत करती
अन्तस् में घाव भरे, प्रभु दरस की दीवानी। हैं। उनकी कविताओं एवं भजनों के पीछे जीवन-निर्माण, व्यक्तित्व
मन-मंदिर में जिसकी, तस्वीर उभरती है।। Ja20 संबोधि टाइम्स
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org