Book Title: Sambdohi Times Chandraprabh ka Darshan Sahitya Siddhant evam Vyavahar
Author(s): Shantipriyasagar
Publisher: Jityasha Foundation
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ईश्वर भक्ति, मोक्ष, नैतिकता, राजनीति, आतंकवाद आदि बिन्दुओं पर बैंक में लंबी-चौड़ी रकम को मैं सफलता नहीं मानता, मेरे लिए भी उपयोगी मार्गदर्शन दिया है।
सफलता की परिभाषा है - चेहरे पर कभी न मिटने वाली मुस्कान और श्री चन्द्रप्रभ के सान्निध्य में अंतर्मन की शांति एवं अतीन्द्रिय ऐसा विश्वास जो कभी ख़त्म नहीं हो।" उन्होंने सफलता का संबंध शक्तियों के जागरण से जुड़े संबोधि ध्यान एवं योग प्रशिक्षण के सैकड़ों जीवन की स्वतंत्रता, वर्तमान में जीना, दूसरों के लिए उपयोगी जीवन, शिविर आयोजित हो चुके हैं। जिसमें अब तक छत्तीस कौम के लाखों मानवता के प्रति प्रेम से भी जोड़ा है। लोगों ने भाग लेकर स्वयं का कायाकल्प किया है। उन्होंने बच्चों एवं श्री चन्द्रप्रभ के दर्शन में सफलता की व्याख्या के साथ सफलता युवापीढ़ी के संस्कार निर्माण व व्यक्तित्व विकास के लिए 'द वे ऑफ पाने के बेहतरीन गुर बताए गए हैं। वे कॅरियर बनाने के साथ जीवन में गुड लाइफ' के अनेक शिविर करवाए हैं। उनके द्वारा स्थापित जितयशा भी सफल होने की कला सिखाते हैं। उनकी दृष्टि में, "जिस तरह पानी फाउंडेशन ने जीवन-निर्माण से जुड़ी तीन सौ से अधिक पुस्तकें को भाप बनने के लिए उबलना पड़ता है वैसे ही सफलता की ऊँचाइयों प्रकाशित की हैं। उन्होंने संबोधि सेवा परिषद, संबोधि महिला मण्डल, को पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। जो 36% शक्ति लाएँगे वे संबोधि बालिका मण्डल जैसी संस्थाएँ गठित की हैं जो सिलाई-कढाई केवल पास होंगे, जो 60% शक्ति लाएँगे वे फर्स्ट क्लास आएँगे, पर जो प्रशिक्षण केन्द्र मेडिकल रिलिफ सोसायटी.मनस चिकित्सा, गौ रक्षा. 100% शक्ति लगा देंगे वे टॉप टेन में पहुँचने में सफल हो जाएँगे।" प्राकृतिक आपदा सहयोग, सरकारी अस्पतालों की देखरेख, संबोधि
उन्होंने 'सफल होना है तो ...' पुस्तक में सफलता का राज़ ऊँचा लक्ष्य, जल मंदिरों की स्थापना जैसी सेवाएँ संचालित कर रही है। उनके
महान सोच व बेहतर कार्यशैली के समन्वय को बताया है। उन्होंने निर्देशन में प्रतिवर्ष गरीब बच्चों के लिए अल्पमोली पस्तिकाओं का कैसे बनाएँ अपना कॅरियर' पुस्तक में सफल कॅरियर के छ: मंत्र दिए वितरण होता है। कैदियों एवं कच्ची बस्तियों के लोगों का जीवन स्तर
हैं - बेहतरीन शिक्षा, कड़ी मेहनत, तन्मयता से कार्य करना, निरंतर ऊपर उठाने के लिए सुधार अभियान चलते हैं। उन्होंने सर्वधर्म- अभ्यास, स्वयं पर विश्वास, बेहतरीन प्रस्तुतीकरण। जीवन में सद्भाव के लिए सभी धर्म शास्त्रों एवं महापुरुषों के संदेशों को यगीन सफलता पाने का मार्गदर्शन देते हुए श्री चन्द्रप्रभ कहते हैं, "सफलता संदर्भो में प्रस्तुत किया है। इस तरह दोनों दार्शनिक राष्ट्र के चहुँमुखी का संबंध महज़ व्यापार या कॅरियर से नहीं है। सबके साथ विनम्रता उत्थान के लिए प्रयासरत हैं।
और मिठास से पेश आना, रिश्तेदारों के साथ सहयोग करना और श्री रविशंकर एवं श्री चन्द्रप्रभ के दर्शन की तुलनात्मक विवेचना से
स्वार्थों से ऊपर उठकर गैर इंसानों के काम आना, गलत और विपरीत स्पष्ट होता है कि दोनों में जीवन जीने की कला पर विशद विवेचन किया
वातावरण बन जाने पर ख़ुद पर संयम और धैर्य रखना भी सफलता के गया है। श्री रविशंकर एवं श्री चन्द्रप्रभ ने मुस्कुराते हुए जीवन जीने की हा अलग-अलग आयाम ह
ही अलग-अलग आयाम हैं।" प्रेरणा दी है। श्री रविशंकर ने मुस्कुराने को प्रभु की भक्ति भी माना है और श्री रविशंकर एवं श्री चन्द्रप्रभ ने तनाव, क्रोध और अहंकार जैसे जीवन की सफलता भी। वे कहते हैं, "भगवान चाहते हैं कि हम मुस्कराएँ, नकारात्मक तत्त्वों से मुक्त होने का मार्गदर्शन भी दिया है। श्री रविशंकर हँसें। यह समष्टि चाहती है ऐसी मुस्कुराहट, ऐसी हँसी जो हमारे रोम-रोम ने तनावमुक्ति हेतु भूत-भविष्य की चिंता न करने, वर्तमान क्षण में जीने से निकले और कण-कण में समा जाए। हँसो, मस्त हो जाओ यही भक्ति और तनाव के परिणामों पर चिंतन करने के सूत्र दिए हैं। श्री चन्द्रप्रभ है।" उन्होंने सफलता व मुस्कान का अंतर्संबंध उजागर करते हुए कहा है, की दृष्टि में, "कुछ बुरा होने के बाद दिमाग में रहने वाला खिंचाव ही "सफलता का सूचक है चेहरे पर हमेशा थिरकती मुस्कान, जीवन पर तनाव है।" उन्होंने तनाव मुक्ति के लिए जीवन में कुछ खास बातों को भरोसा और यह जानना कि सारे लोग अपने हैं।"
जीने की सलाह दी हैश्री चन्द्रप्रभ के दर्शन में जीवन को स्वभाव को संदर बनाने का 1.सदा हँसने-मुस्कुराने की आदत डालें। पहला मंत्र दिया गया है - हर पल मुस्कुराओ, मुस्कान दो और मुस्कान 2. संगीत सुनने, पैदल चलने और योगासन-प्राणायाम करने की लो। श्री चन्द्रप्रभ ने हर दिन की, हर कार्य की शुरुआत मुस्कुराकर करने आदत डालें। की प्रेरणा दी है। वे कहते हैं, "हर दिन की, हर कार्य की शुरुआत 4.अच्छी नींद लें। मुस्कान से कीजिए। आपकी मुस्कान ईश्वर को चढ़ाए गए फूल के 5. प्रतिदिन ध्यान के प्रयोग करें। समान है।" उन्होंने चिंता, तनाव, क्रोध से मुक्त होने के लिए मुस्कान 6. मन को आशा, उमंग, उत्साह से भरा रखें। को बढ़ाने की सलाह दी है। उनकी दृष्टि में, "सुबह उठते ही तबीयत 7.मेल-मिलाप बढ़ाएँ व हर कार्य शांतिपूर्वक संपादित करें। से मुस्कुराए जीवन में ज्यों-ज्यों मुस्कान के फूल खिलेंगे चिंता, क्रोध,
श्री रविशंकर ने क्रोध-मुक्ति का मार्गदर्शन देते हुए कहा है, "जब भी तनाव के काँटे स्वतः निष्प्रभावी होते जाएँगे।"उन्होंने मुस्कान से जुड़े
क्रोध आए गाना गाओ, गाकर डाँटो। क्रोध में हम लय,छंद,ताल विहीन हो प्रयोग को जीवन से जोड़ने की सीख देते हुए कहा है, "सुबह-शाम
जाते हैं। गायन इस छंद को वापस लौटाता है।" श्री चन्द्रप्रभ ने गुस्से को तीन-तीन मिनट बैठ जाइए और आती हुई श्वास के साथ अनुभव करते
जीतने के निम्न सूत्र दिए हैं - कल पर टालने की आदत डालें, धैर्य रखें, जाएँ, 'मैं अंतर्मन को शांतिमय बना रहा हूँ और जाती हुई श्वासों के
एक घंटा मौन रखें, क्रोध के वातावरण वाले स्थान से हट जाएँ, माफी माँगें साथ मैं मुस्कुरा रहा हूँ' यह छोटा सा प्रयोग गुस्सा, चिड़चिड़ापन और
या माफ कर दें और स्वयं को समझाएँ - हे जीव! शांत रह। श्री रविशंकर नकारात्मक भावों से मुक्त करने में उपयोगी साबित होगा।"
अहंकार की विवेचना करते हुए कहते हैं, "विश्रांति की स्थिति में नहीं होना श्री रविशंकर एवं श्री चन्द्रप्रभ के दर्शन में सफलता पर भी ही अहंकार है। सहज, सरल और अपने स्वभाव में होने पर अहंकार नहीं मार्गदर्शन प्राप्त होता है। श्री रविशंकर सफलता को धन से नहीं जोड़ते होता।" श्री चन्द्रप्रभ ने अहंकार की तुलना सोडावाटर की शीशी की गोली हैं। उनकी दृष्टि में, "लंबे लटके चेहरे और तनावग्रस्त मन के साथ से की है.जो दसरों की विशेषताओं को अंदर जाने नहीं देती और अंदर की 1120 » संबोधि टाइम्स
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