Book Title: Sambdohi Times Chandraprabh ka Darshan Sahitya Siddhant evam Vyavahar
Author(s): Shantipriyasagar
Publisher: Jityasha Foundation
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श्री चन्द्रप्रभ का सैद्धांतिक एवं अन्य साहित्य
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श्री चन्द्रप्रभ्र एक महान दार्शनिक और महान साहित्यकार हैं । उनका साहित्य सागर की तरह विशाल है। उन्होंने साहित्य के जरिए मानव समाज में सामाजिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों के बीजों को बोया है। पूरे देश में हर जाति, कौम एवं समाज में उनके विचारों की चर्चा होती है। वे धर्मानुशास्ता हैं, ध्यानयोगी व आत्मज्ञानी संत हैं। उन्होंने सर्वधर्म सद्भाव की मिसाल कायम की है। उन्होंने अपने साहित्य में धर्म, ध्यान-योग, आध्यात्मिक साधना के स्वरूप पर नई दृष्टि प्रतिपादित की है। उन्होंने सभी धर्मों पर प्रकाश डाला है और महापुरुषों में निकटता स्थापित करने की कोशिश की है। उनके सैद्धांतिक साहित्य में धर्मपरक, ध्यानयोग, अध्यात्मपरक और महापुरुषों पर लिखे गए साहित्य को सम्मिलित किया गया है। उन्होंने काव्य-कथापरक साहित्य लिखकर हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है। वे मधुर गायक और गीतकार भी रहे हैं। सैकड़ों भजन, चौपाइयाँ एवं इकतीस रचना कर उन्होंने धर्म को सरस एवं रसमय बनाने में अमूल्य योगदान दिया है। उनके द्वारा सृजित अन्य साहित्य में अनुसंधानपरक, कथाकहानीपरक एवं गीत-भजन-स्तोत्रपरक साहित्य को सम्मिलित किया गया है । उनके व्यावहारिक साहित्य की हम दूसरे अध्याय में चर्चा कर आएँ है । इस अध्याय में हम उनके धर्मपरक, ध्यानयोगमूलक, अध्यात्मपरक, महापुरुषों से सम्बद्ध, अनुसंधानमूलक एवं अन्य साहित्य की चर्चा करेंगे, जो कि इस प्रकार है -
धर्मपरक साहित्य
(1) क्षमा के स्वर
(2) हम विषपायी हैं जनम जनम के (3) जैनत्व का प्रसार सेवा के दायरे में (4) संभावनाओं से साक्षात्कार (5) ज्योति जले बिन बाती
(6) हंसा तो मोती चुगै (7) सत्यम् शिवम् सुन्दरम्
(10) पंछी लौटे नीड़ में (11) चरैवेति (12) जैन पारिभाषिक शब्दकोश
(13) रूपान्तरण
(14) पर्युषण प्रवचन
(15) धर्म में प्रवेश
(16) जीवन में लीजिए
(8) स्वयं से साक्षात्कार (9) उड़िए पंख पसार पाँच संकल्प उपर्युक्त साहित्य का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है - क्षमा के स्वर
इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने क्षमा-धर्म पर बेहतरीन प्रकाश डाला है। उन्होंने क्षमा से जुड़े हर पक्ष पर सुंदर व सरल व्याख्या की है। भाषा
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संबोधि टाइम्स 43
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