Book Title: Sambdohi Times Chandraprabh ka Darshan Sahitya Siddhant evam Vyavahar
Author(s): Shantipriyasagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 57
________________ तो साथ ही उन्होंने वर्तमान जीवन की स्थितियों से जुड़े घटना-प्रसंगों इस तरह कहा जा सकता है कि श्री चन्द्रप्रभ का साहित्य हर दृष्टि का भी चित्रण किया है। कहानियों में इतनी रसमयता एवं प्रभावकता है से परिपूर्णता लिए हुए है। उनकी साहित्यिक विधा से सर्वतोमुखी कि वे पुनः-पुनः पढ़ने की आतुरता पैदा करती हैं, तो दूसरी ओर जीवन प्रतिभा का सहज ज्ञान हो जाता है। उनके 1000 से अधिक साहित्यिक को आदर्श युक्त बनाने की सीख देती हैं। लेख राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में छप चुके हैं एवं सैकड़ों डॉ. वेंकट प्रकाश शर्मा का मानना है."श्री चन्द्रप्रभ की कहानियाँ पुस्तकों की समीक्षाएँ प्रकाशित हुई हैं। विद्वानों द्वारा लिखित स्वयं परिकल्पना, मनोवैज्ञानिकता, सामाजिक चेतना, देशकालीन उन्होंने सैकड़ों पुस्तकों में सम्पादक की भूमिका निभाई है एवं परिस्थितियाँ एवं व्यक्ति विशेष की सीमाबद्ध विशेषताओं से यक्त हैं। समीक्षाएँ लिखी हैं। श्री चन्द्रप्रभ के साहित्य पर राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों उनमें अतीत, वर्तमान और भविष्य के त्रिविध सूत्रों का समन्वय है। ने सकारात्मक अभिमत रखे हैं। डॉ. मदनराज मेहता कहते हैं, "श्री समरसता और मानवीयता के धरातल से युक्त उनकी कहानियाँ सामान्य चन्द्रप्रभ अपने चारों ओर के जीवन के सरोकारों के कुशल पर्यवेक्षक तथा प्रबुद्ध पाठक वर्गों को ज्ञानवर्धक कराकर उन्हें सकारात्मक चिंतन हैं। उनकी प्रतिभा सार्वभौमिक चेतना व मानव नियति के साथ जुडकर की सूक्ष्म और गहरी जीवन-दृष्टि उपलब्ध करा सकेंगी।" कुल निखरी है। जटिल से जटिल दार्शनिक एवं बौद्धिक तत्त्व उनके मिलाकर श्री चन्द्रप्रभ का कथाशिल्प अनूठा एवं प्रभावी है। इस साहित्य में सरल एवं सुबोध प्रतीत होते हैं। सभी आलेख परम्परा से साहित्य के अतिरिक्त श्री चन्द्रप्रभ का समय-समय पर फुटकर साहित्य ओत-प्रोत होते हुए भी परिपाटी से मुक्त हैं। उनके आलेखों में सत्य के भी प्रकाशित हुआ है, जिसमें उन्होंने शरीर-शुद्धि, क्रोध-मुक्ति, प्रेम लिए आग्रह और उसी के अनुषंग रूप में एक पारदर्शी शैली एवं उदार और विश्वशांति, अहिंसा, तीर्थ-महिमा, ध्यान साधना जैसे बिन्दुओं दृष्टिकोण से मन को रूपांतरित करने की अदम्य ऊर्जा है।" संस्कृत के को छुआ है। श्री चन्द्रप्रभ के दिव्य वचनों पर आधारित वार्षिक एवं प्रतिष्ठित विद्वान आचार्य विश्वनाथ द्विवेदी ने लिखा है - मासिक टेबल कलैण्डर भी बहुतायत मात्रा में उपलब्ध है, जिनमें से महोपाध्याय श्री चन्द्रप्रभ सागर जीवकः। कुछ नाम इस प्रकार हैं लब्धप्रतिष्ठो विख्यातः सञ्जाहो बहुचर्चितः॥ टेबल कलैण्डर चन्द्रप्रभेति तन्नामः, संक्षिप्तं कथ्यते जनैः। प्रतिभातस्य साकाराभवद्भाषाविधासु वै॥ 1. लक्ष्य (वार्षिक कलैण्डर) पृष्ठ 376 बहुक्षेत्रीय भाषाभिः प्राकृत-संस्कृतयोरपि। 2. कामयाबी की ओर (मासिक कलैण्डर) पृष्ठ 32 शास्त्रामप्यनेकेषां, ज्ञानं स्वधिकरोत्ययम्॥ 3. माँ ही मंदिर माँ ही तीरथ (मासिक कलैण्डर) पृष्ठ 32 हिन्दी भाषा सुसाहित्यं, समृद्धम् करोदयम्। 4. ए बी सी डीऑफ लाइफ (मासिक कलैण्डर) पृष्ठ 32 कविताभिः सुरम्याभिः गुणयुक्ताभिरेव च ॥ इस तरह श्री चन्द्रप्रभ का जीवन और साहित्य उज्ज्वलता से 5. जीवन की वर्णमाला (मासिक कलैण्डर) पृष्ठ 32 आपूरित है। वे महान दार्शनिक और चिंतक होने के साथ एक महान 6. बचपन (मासिक कलैण्डर) पृष्ठ 32 लेखक, कवि, अनुसन्धित्सु, इतिहासज्ञ, सम्पादक, कला-मर्मज्ञ, 7. शांतिपथ : महावीर का महामार्ग (मासिक कलैण्डर) पृष्ठ 32 कहानीकार एवं गीतकार भी हैं। श्री चन्द्रप्रभ में एक साथ इतने सारे आयामों का उभरना साहित्य एवं दर्शन जगत के लिए महान गौरव की 8. अमृत संदेश (मासिक कलैण्डर) पृष्ठ 32 बात है। दर्शन जगत् एवं साहित्य जगत् उनके गरिमापूर्ण व्यक्तित्व एवं 9. एक रिश्ता सात जन्म का (मासिक कलैण्डर) पृष्ठ 32 कृतित्व पर सदा गौरवान्वित होता रहेगा। 10. जिद करो दुनिया बदलो (मासिक कलैण्डर) पृष्ठ 32 11.ध्यान : अपने से अपनी मुलाकात (मासिक कलैण्डर) पृष्ठ 32 ___ इन कलैण्डरों में श्री चन्द्रप्रभ के जीवन-निर्माण, व्यक्तित्व विकास, पारिवारिक प्रेम, संस्कार निर्माण, बच्चों का नवनिर्माण, स्वास्थ्य सूत्र, ध्यान योग आदि विविध विषयों से जुड़े क्रांतिकारी वचनों का संकलन हुआ है। इसके अतिरिक्त श्री चन्द्रप्रभ के सुखी, सफल एवं मधुर जीवन जीने के मार्गदर्शन से युक्त दिव्य वचनों को घर-घर तक पहुँचाने के लिए जीवन, जगत, अध्यात्म से जुड़े हर विषय पर 1000 से अधिक वीसीडी, डीवीडी, एमपी-3 उपलब्ध हैं, जिसे देश के कोने-कोने में बड़े चाव से सुना जाता है। गीता, कठोपनिषद्, महावीर सूत्र, विपश्यना, महासत्ति पट्ठानसुत्त, उत्तराध्ययन सूत्र, योगसूत्र, ध्यानसूत्र पर हुए उनके प्रवचनों के वीसीडी सेट भी उपलब्ध हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only संबोधि टाइम्स - 57

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