Book Title: Revati Dan Samalochna Author(s): Ratnachandra Maharaj Publisher: Shwetambar Sthanakwasi Jain Vir Mandal View full book textPage 8
________________ । .. [ ५ ].. समझ कर भ्रम में पड़े हुए भाइयों का भ्रमनिवारण करेंगे । सुज्ञेषु किं बहुना ? ब्यावर (राजपूताना.) ! जिन शासन का तुच्छ सेवक महावीर जयन्ति वी. सं. २४६१ । धीरजलाल के तुरखिया वि. सं. १९९२ चैत्र शुक्ला १३ | ऑ. अधिष्ठाता, जैन गुरुकुल ब्यावर नोट:-रेवती-दान का स्पष्टीकरण खास कर उन दिगम्बर पंडितों के लिये लिखा गया है, जो कि, श्वेताम्बर आग़मों के मनमाने असंबद्ध शब्दार्थ करते हैं । इन पण्डितों को विद्वता एवं युक्ति प्रमाण सहित उनकी प्रिय भाषा संस्कृत में ही पं० मुनि श्री स्त्रचन्द्रजी महाराज ने यह पद्य गद्यात्मक निबन्ध लिखा था, जिसका लाभ आम जनता को भी मिले यह आवश्यक समझ करके एक दिगम्बर न्यायवादी पंडितजी ने ही इसका मनुवाद कर देने की कृपा की है, अतः उनको धन्यवाद दिया जाता है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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