Book Title: Pratapmuni Abhinandan Granth Author(s): Rameshmuni Publisher: Kesar Kastur Swadhyaya Samiti View full book textPage 9
________________ आभार-दर्शन वादीमान-मर्दक स्व० गुरुदेव श्री नन्दलाल जी म सा के शिष्य रत्न मेवाडभूषण पं० रत्न श्री प्रतापमल जी म सा के साधना (दीक्षा) जीवन के ५१ वर्ष पूर्ण होने आये है। आपने इस सुदीर्घ साधना जीवन मे जैन समाज की अमूल्य सेवा करके धर्म-शासन की गौरवगरिमा-महिमा चमकाने का श्लाघनीय प्रयास किया और कृतसंकल्प है। जिनका मूल्याकन करना साधारण जन-मन के बस की बात नही है। ___ कभी भी जिनका मनोबल सफलता-विफलता की परिस्थितियो मे गडवड़ाया नही, लोमहर्षक-विघ्न वाधाओ मे भी जिनका जीवन लक्ष्य अचल रहा, जो हमेशा सरलता-समता-रसपान करके मुस्कराते रहै हैं, निरतर-प्रगति की मशाल लिए आगे बढना ही सीखा है। ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी का 'मुनिश्री प्रताप अभिनदन ग्रथ' के रूप मे प्रकाशन करके हम अत्युल्लास का अनुभव कर रहे हैं । लेखक सयोजक, संपादक एवं मुनिमण्डल का यह प्रयास सर्वथा अनुकरणीय एवं अनुमोदनीय है। जिन्होने गुरुदेव के प्रति अनुपम श्रद्धा-भक्ति का परिचय दिया है। जिन महानुभावो ने ग्रंथ प्रकाशन मे हमे बौद्धिक तथा आर्थिक सहयोग प्रदान किया है उनके लिए समिति आभारी है। -अध्यक्ष एवं मंत्री शोभागमल कोचेटा, सुजानमल मेहता केशर-कस्तूर स्वाध्याय भवन गाधी कालोनी जावराPage Navigation
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