Book Title: Pratapmuni Abhinandan Granth Author(s): Rameshmuni Publisher: Kesar Kastur Swadhyaya Samiti View full book textPage 8
________________ समाज अपनी तीक्ष्ण बुद्धि की तुला पर नापती है। अपने संकीर्ण दिलदिमाग से लेखक के व्यापक निष्कर्षों का मिलान करती है। उनमे और इनमे कही समानता नही हई तो उसका भी उत्तर चाहती है। अतएव स्थान-स्थान पर प्राय अतिगयोक्तियो का वहिष्कार ही किया गया है। आदर्शवाद को न अपना कर जहाँ-तहाँ हमारे चरित्रनायक के जीवन का वास्तविकवाद के माध्यम से ही दिगदर्शन करवाया गया है। सहयोगियो का सहयोग कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है । स्थविर पद विभूषित मालवरत्न, गुरु भगवत श्री कस्तूरचन्द जी म० स्थविर वर प० रत्न श्री रामनिवास जी म०, गुरुवर श्री प्रतापमलजी म,प्रवर्तक श्री हीरालालजी म आदि मुनियो के वरदहस्त मेरे माथे पर रहे है । प्रस्तुत कार्य मे सुहृदयी-स्नेही सफलवक्ता श्री अजीत मुनि जी एव श्री सुरेश मुनि जी म की तरफ से उत्साह वर्धक स्फुरणा मिलती रही। लघुमुनि श्री नरेन्द्रकुमार जी एवं श्री विजय मुनि जी का सहयोग विशेष उल्लेखनीय रहा। जिन्होने शुद्ध साफ प्रेस कापी करने मे श्लाघनीय सेवा प्रदान की। स्नेही श्रीचंद जी सुराना 'सरस' का सेवा कार्य भी स्मरणीय है । सचमुच ही जिन्होने ग्रथ को निखारा है। अन्य जिन मुनि महासती वृन्द ने अपने श्रद्धा-स्नेह भरे उद्गारो को भेजकर ग्रन्थ को सुन्दर बनाने मे सहयोग दिया है उन सभी विद्वद्वर्ग का हृदय से अभिनंदन करता हूँ। किसी भी महापुरुष के जीवन का सर्वोश रूपसे दर्शन कर लेना सहज नही है। उनके ऊर्ध्वमुखी जीवन को देखने के लिए दृष्टि की भी उतनी ही व्यापकता अपेक्षित है। मुझे यह स्वीकार करने मे तनिक भी सकोच नही कि प्रस्तुत 'मुनि श्री प्रताप अभिनंदन ग्रन्थ' सम्पूर्ण नही है। इसकी पूर्णता मैं अपनी नन्ही बुद्धि से नही कर पाया हूँ। इसका मुझे तनिक भी खेद नहीं है । मैं जानता हूँ कि किसी भी साधक के जीवन का अध्याय 'इति' रहित है और उसमे केवल 'अथ' ही होता है। -मुनि रमेशPage Navigation
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