Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या ५.शीर बंधन नाम कर्म
|१९. असंज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों का. ६.शरीर संघात नामकर्म
___कर्म बंध काल • ७. संहनन नाम कर्म
२०. संज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों का बंध काल .१२७ 6. संस्थान नाम कर्म
२१. ज्ञानावरणीय आदि का जघन्य ए.वर्णनाम कर्म
स्थिति बंधन 90. गंध नाम कर्म
२२. मोहनीय कर्म की जघन्य .. ११. रस नाम कर्म १२. स्पर्श नाम कर्म
स्थिति का बंधक १३. अगुरु लघु नाम कर्म ।
२३. आयुष्य कर्म का जघन्यं . १४. आनुपूर्वी नाम कर्म :
स्थिकि का बंधक .. १३१ १५. शेष नाम कर्म की प्रकृतियाँ- |२४. उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले _ विहायोगति नाम कर्म भेद
| कर्म बंधक ७.गोत्र कर्म के भेद .
चौबीसवां कर्म बंध पद १३७-१४५ . ८.अंतराव कर्म के भेद ७. ज्ञानावरणीय कर्म स्थिति
ज्ञानावरणीय आदि कर्म को बांधता अबाधाकाल और निषेक काल
हुआ जीव कितनी कर्म प्रकृतियाँ ८. दर्शनावरणीय कर्म स्थिति
बांधता है ? .
१३० अबाधाकाल और निषेक काल ९२/२. वेदनीय कर्म को बांधता ९. वेदनीय कर्म स्थिति अबाधाकाल . ।
हुआ जीव कितनी कर्म प्रकृतियाँ और निषेक काल
बांधता है ? १०. कषायों और नो कषायों की स्थिति ९४/३. मोहनीय कर्म को बांधता ११. आयुष्य कर्म की स्थिति
९७/ हुआ जीव कितनी कर्म प्रकृतियाँ १२. नाम कर्म के भेदों की स्थिति आदि ___९८ बांधता है ? १३. गोत्र कर्म की स्थिति आदि ११०/४. आयुष्य कर्म
१४४ १४. अन्तराय कर्म की स्थिति आदि . ११० | पच्चीसवां कर्म बंधपद १४६-१४७ १५. एकेन्द्रिय आदि जीवों का .
ज्ञानावरणीय आदि कर्म बांधता . __ कर्म बंध काल १६. बेइन्द्रिय जीवों का कर्म बंध काल १२२/
हुआ जीव कितनी कर्म प्रकृतियाँ १७. तेइन्द्रिय जीवों का कर्म बंध काल
वेदता है १२३ /
१४६
२. वेदनीय कर्म बांधता हुआ १४६ १८. चउरिन्द्रिय जीवों का कर्म बंध काल १२४/.
११९/
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