Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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विषयानुक्रमणिका प्रज्ञापना सूत्र भाग ४
क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या बाईसवां क्रिया पद १-४३ तेईसवां कर्म प्रकृति पद १. क्रिया भेद-प्रभेद
प्रथम उद्देशक ४४-६७ २. जीवों की सक्रियता अक्रिया ४] १. कर्म प्रकृतियों के नाम और अर्थ ४४ ३. अठारह पापों से जीव को लगने | २. कर्म बंध के प्रकार ___वाली क्रियाएं
५३. कर्म बंध के कारण ४. . अष्ट विध कर्मबंध आश्रित क्रियाएं ११/४. वेदन की जाने वाली कर्म५.. एक जीव और बहुत जीव की । प्रकृतियों की गणना अपेक्षा क्रियाएं
किस कर्म प्रकृति का कितने ६. चौबीस दण्डकों में क्रियाएं
प्रकार का विपाक है? ७. क्रियाओं के परस्पर सहभाव की
६. कर्मों की मूल एवं उत्तर प्रकृतियां
१.ज्ञानावरणीय कर्म के भेद । विचारणा
२.दर्शनावरणीय कर्म के भेद ८. 'आयोजिका क्रियाएं
३. वेदनीय कर्म के भेद ९. क्रियाओं से स्पृष्ट-अस्पृष्ट की चौभंगी २४ ४.मोहनीय कर्म के भेद १०. पंचविध क्रियाएं और उनके स्वामी २५ १. कषाय वेदनीय भेद ११. जीव में क्रियाओं का सहभाव २८ २. नोकषाय वेदनीय भेद १२. अठारह पापों से विरमण , ३२ ५. आयुष्य कर्म के भेद १३. पापों से विरत जीवों के कर्म
६. नाम कर्म के भेद ' प्रकृति बंध
१. गति नाम कर्म भेद
२. जाति नाम कर्म भेद १४. पापों से विरत जीवों के क्रिया भेद ४०
३. शरीर नाम कर्म १५. क्रियाओं का अल्पबहुत्व
४. शरीर अंगोपांग नाम
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