Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 05
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 8
________________ श्री जैन इतिहास ज्ञान भानू किरण नं० २ * श्री रत्नप्रभसूरीश्वर पादपद्मेभ्योनमः * प्राचीन जैन इतिहास संग्रह (द्वितीय भाग) [ महाराजा सम्प्रति के शिला लेख ] किंवा पदच्युत सम्राट अशोक (भारतवर्ष के इतिहास पर नवीन प्रकाश डालताहुआ यह लेख अशोक के शिला लेखों के लिए रूढ़ि सी मान्यता का प्रमाण भूत रूप से प्रतीकार करता है। आज के इतिहास कारों तथा सामान्य जनता की भी यही धारणा है कि "जोजोप्राचीन शिलालेख एवंस्तंभ लेख दिखाई देते हैं, वे सब अशोक की ही कृति हैं । अशोक एक महान प्रभुत्वशाली बादशाह हो चुका है और कहा जाता है बौद्ध धर्म के द्वाराही सामान्य जनता का उपकार हुआ है, किन्तु ये शिलालेख अशोक सम्राट् तथा बौद्ध धर्म के भी नहीं है। प्रत्युत सम्राट सम्प्रति के हैं और उन लेखों में लिखी गई सारी लिपि जैन लिपि

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