Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 05
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 72
________________ महाराजा सम्प्रति के शिलालेख .२० " श्वभ्र'", मरु, कच्छ, सिन्धु, सौवीर १९, कुकुर ‍ अपरान्त, निषाद २१ आदि देश उसने अपने बाहुबल से अधिकृत कर लिए थे२२ । ६५ क्षत्रप रुद्रदामन् ने अपने बाहुबल से अनेक देशों को जीत लिया था, इस बात को यदि हम मान लें ( जब कि हमारी इस तथा एशिया रिसर्चेज पु० ७, पृ० ३३६ ) वह प्रान्त भी आधुनिक पंजाब का सीमाप्रान्त होने विषयक अनुमान किया जा सकता है । यदि आनर्त देश से कुछ भी सम्बन्ध हो तो शत्रुन्जय प्रकाश ( भावनगर मुद्रित १६२६, पृ० १ टि० २ ) में उसका दूसरा नाम बड़नगर बतलाया गया है, जो कि उत्तर गुजरात का एक प्रमुख नगर है । श्रानर्त = गुजरात और मालवा का कुछ भाग ( देखिए नन्दलाल डे कृत Ant, Geo, India. ) (१८) इसका आधुनिक नाम और स्थान अज्ञात हैं । ( ११ ) श्राधुनिक कच्छ के ईशान कोण में तथा वर्तमान राजपूताना के श्राग्नेय तथा पश्चिम भाग वाला प्रदेश । (२०) बनारस नगर वाला भाग ( रा० ए० सो० ए०, पु० पृ० -३४१, टिप्पणी ) (२१) राजपूताना के जयपुर के कछवाहे अंबर राज्य के रूप में पहचाने जाते हैं । और अंबर के क्षत्रियों की निषद ( आधुनिक निर्बुर ) 'देश में बसनेवाले असल क्षत्रियों की यह शाखा है । क्षत्रियों में विख्यात अभागे नल दमयन्ती का नाम हमारे पूर्ण परिचय का और विख्यात है । (टाँड राजस्थान, पु० १, पृ० १४० ) । (२२) सुदर्शन तालाब के इस शिलालेख के अतिरिक्त दूसरा ऐसा कोई साधन हमारे पास नहीं है, जिससे कि रुद्रदामन् की सत्ता के विशेष विस्तृत होने की बात जानी जा सके ।

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