Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 05
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 83
________________ ऐतिहासिक अमूल्य पुस्तकें ? (१) जैनजाति महोदय प्रथम खण्ड सचित्र-इसमें जैनधर्म एवं जैन-जातियों का विस्तृत इतिहास गहरी सोध एवं खोज के साथ संकलित किया गया है। प्रत्येक जैन के पास एकेक प्रति अवश्य होनी चाहिये । पृष्ठ १००० चित्र ४३ सुन्दर छपाई बढ़िया कागज़ पक्को जिल्द होने पर भी प्रचारार्थ मूल्य मात्र रु०४) (२) ओसवाल कुल भूषण धर्मवीर "समरसिंह"-यह एक ऐतिहासिक ग्रन्थ है जिसमें ढाई हजार वर्षों की महान् घटनाए ओसवालों की उत्पत्ति श्रेष्ठगोत्र वैद्य मुहतों का महत्व शत्रुजय तीर्थ का पन्द्रहवाँ उद्धारादि अनेक विषयपूर्ण होने पर भी प्रचारार्थ मूल्य मात्र रु० ११) (३) "श्रोसवालोत्पत्ति विषयक शंकाओं का समाधान"-इसमें ओसवालोत्पत्ति समय के विषय में कई लोग शंकाएं करते हैं जिनका सप्रमाण उत्तर देने के साथ अनेक प्रमाणों से यह बतलाने की चेष्टा की है कि ओसवालोत्पत्ति वि० सं० ४०० वर्ष पूर्व हुई है यह दलदार ग्रन्थ भेट दिया जायगा । (४) ओसवाल वंश स्थापक जैनाचार्य श्रीरत्नमलसूरीश्वर जी की “जयन्ति"-इस किताब में आचार्य श्री रत्नमलसूरि का जीवन चरित्र एवं प्रोसवालों की उत्पत्ति को सब घटनाएँ लेक्चर के तौर पर लिखी गई हैं कि अज्ञान लोग इस किताब से ही अपने महान् उपकारी पुरुषों की जयन्ति मना के महान पुन्योपार्जन कर सकें। नं० ३-४ की दोनों पुस्तकें खर्चा का. चार आना आने पर भेजी जाँयगी। पता-श्री जैन श्वेताम्बर सभा मु० पीपाड़ सिटी मारवाड़।

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