Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 05
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 14
________________ महाराज सम्प्रति के शिलालेख ई० सं० पूर्व ५२६२ के साल से (महावीर निर्वाण से) बुद्ध संवत् की शोध करने के लिए हम अनेक घटनाओं और बातों की सहायता ले सकते हैं किन्तु यहाँ उसका विशेष जिक्र नहीं है, अतएव एक दो इतिहास जो हमें इस कार्य में सहायक हैं मात्र उन्हीं का उल्लेख करूँगा। (१) सिंहल के इतिहास में बुद्ध भगवान के जीवन की अनेक घटनाए देवाह के राजा अंजन के सम्वत् में इस तरह लिखी हुई मिलती हैं। (अ) महात्मा बुद्ध का जन्म अंजन सं० ६८ आयु० (ब ) भिक्षुक होना , , ६७ , २६ (स ) धर्म प्रवर्तन (द ) निर्वाण प्राप्ति ( ज्ञान प्राप्ति), १२७? ,,५६१४ (सांसारिक मोह का नाश) (य) परिनिर्वाण संसार की जंजीर से सर्वथा छुट्टी देह त्याग ) ,, , १४८ ,,८०५ (२)राजा अजातशत्रु के राज्य के दूसरे वर्ष में भगवान् महावीर तथा आठवें वर्ष में भगवान बुद्ध का मोक्ष हुआ है। (२) महावीर का निर्वाण कार्तिकीय अमावस्या अर्थात् ई० पू० ५२७ के अक्टूबर में हुआ। (३) इण्डियन एण्टीकरी पु० ३२, पृ० २२८ । (४) इसके स्थान पर १२५ और ५७ चाहिए (यह भूल कैसी हुई होगी कुछ ज्ञात नहीं होता)। (५) केम्ब्रिज हिस्ट्री आफ इण्डिया प्रथम भाग पृ० १५६ । (६) इण्डियन एण्टीक्केरी पु० ३७ पृ. ३४२, केम्ब्रिज हिस्टी आफ इण्डिया प्र० भाग पृ० १५७, प्रो० जे० प्र० काण्टियर का इण्डियन एण्टीक्करी का लेख सन् १९१४ (महावीर के समय) का पृ० १३२ ।

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