Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 05
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 17
________________ प्रा० जै० इ० दूसरा भाग उत्तर हिन्द के अनुसार (महावंश) ई० पू० ५२०१३ दक्षिण हिन्द के अनुसार (दीपवंश ) ई० पूर्व ५४३ द्वितीय विभाग मौर्यवंश की वंशावली इसका निर्णय करने के लिए तीनों धर्मों की बहुत सी घटनाओं को साक्षी मानना पड़ेगा ( तीनों धर्म ब्राह्मण बुद्ध और जैन) और जब उन सबका एक दूसरे से सम्बन्धित मिलता हुआ प्रमाण समर्थन में उपस्थित होजाय तब तो यह बात अवश्य सिद्ध हो जायगी कि “वह ठीक ऐसे ही है इसमें कुछ भी गड़बड़ी नहीं है। __ मैं पहले जाँच सम्राट अशोक से प्रारम्भ करूँगा। (१) सिंहली इतिहास के अनुसार सम्राट अशोक का राज्याभिषेक बुद्ध निर्वाण'४ के २१८ वर्ष बाद हुआ और सिंहली लोगों की गणना१५ (दक्षिण हिन्द) बुद्ध निर्वाण ई० पू० ५४३-४ है इस तरह ५४३-२१८ = ई० पू० ३२५ में अशोक का राज्याभिषेक मानना पड़ेगा। (२) सुदर्शन विभाश जो चीनी ग्रन्थ है, उसमें लिखा है कि अशोक बुद्ध सं० २१८१६ में हुआ था । चीनी लोगभी सिंहली गणना के अनुसार ही अपनी संवत् गणना करते हैं अतः उसका काल ई० पू० ३२५ ही माना जायगा। (१३) देखिए उपरोक्त ७ वीं । वीं और १० वी टिप्पणियों को। (१४) देखिए, दीपवंश VI १ और आगे इण्डियन एण्टीकरी ३२ पृ. २६६ और भाग २७ पृ० ३४५। (१५) ऊपर देखिए टोका नं. ६, १०। (१६) इण्डियन एण्टीक्करी ३७ पृ०.३४६ ।

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