Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 05
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 33
________________ प्रा० जै० इ० दूसरा भाग (४) प्रो० रा० गो० भांडारकर६५ लिखते हैं कि "राजा सम्प्रति की आयु मात्र १० दिन की थी तभी वह गद्दी पर बैठाया गया दश दिवस के स्थान पर १० मास लिखना चाहिए था। किन्तु इससे इतना तो फल निकाल ही सकते हैं कि सम्प्रति जब एकदम बालक था तभी गद्दीपति घोषित किया गया था । (६५) ऐसा ज्ञात होता है कि६६ मगध की गद्दी पर एक श्रेणिक राजा हुआ था उसके बाद सत्रहवां राजा सम्प्रति६७ हुआ है । उस का राज्य काल महावीर सं० २३८ (ई० पू० २८६ से प्रारम्भ हुआ है ( जिस समय अशोक का अन्तकाल आया था)६८ इससे यह भी सिद्ध होता है कि सम्राट अशोक के बाद पाटलिपुत्र का सम्प्रति ही राज्याधिकारी हुआ था । . (६) कर्नल टाड६९ लिखते हैं कि “सम्प्रति का राज्यकाल ई० पू० ३०३, ४ में शुरू हुआ अर्थात् सम्राट् सम्प्रति का जन्म ई० पू० ३०४ में हुआ था और १० माश के बाद गद्दीपति हुआ था और पन्द्रहवें वर्ष ई० पू० २६०, ८६ में उसका राज्याभिषेक काल माना जा सकता है। (७) स्तम्भ लेखों में लिखा है कि जिस समय सम्राट प्रियदर्शन का राज्य काल चल रहा था उस समय ग्रीक साम्राज्य (६५) देखिए-श्रीभाण्डारकर की रिपोर्ट VI १८८३-४ पृ० १३५ (६६) देखिए-इण्डियन एण्टीक्वेरी पु० ११ पृ० २४६ । (६७) देखिए-शिशुनाग वंश की वंशावली वाला मेरा लेख । (६८) ऊपर पृ० में "क' तथा नीचे के पैराग्राफ २४ देखिए । (६६) कर्नल टाड का राजस्थान द्वितीय संस्करण । (७०) देखिए-स्तम्भ लेख नं० २ तथा १३

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