Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 05
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 34
________________ महाराजा सम्प्रति के शिलालेख २७ के७१ ५ टुकड़े हो गए थे, जो नाम उन में लिखे गए हैं, उन पाँचों के नामों से यूरोपीय विद्वान् उन का राज्य काल निम्न लिखित अन्दाज किये हुए हैं । (१) ई० पू० २६१ से २४६ तक (२) ई० पू० २८५ से २४७ तक (३) ई० पू० २७८ से २४२ तक ( ४ ) ई० पू० २५६ और ( ५) ई० पू० २७२ से २५४ तक ___ स्तंभ लेखों के खुदवाये जाने का समय भले ही कुछ पीछे हो किन्तु उन में यह तो स्पष्ट लिखा हुआ है कि उपरोक्त घटना (शिला लेखों की) प्रिय दर्शन राजा ने अपने राजगद्दी पर बैठने के आठ वर्ष बाद कलिंग देश जीत लिया था और उसके पूर्व की ही है। अब जो अशोक और प्रियदर्शन एक ही व्यक्ति हो तो ई० पू० ३२५-८ में अशोक का राज्याभिषेक हुआ है उस हिसाब से ई० पू० ३१७ का २ आता है और उसे देखते हुए तो ऊपर के श्री रा० भाण्डारकर अपनी सम्राट अशोक नामक पुस्तक पृ० १५६ में लिखते हैं कि हिन्दुस्तान के बाहर बौद्ध धर्म का विस्तार अशोक के राज्यकाल ( R. E. XIII ) में हुआ है इस विषय में विद्वानों को भी शंका है। फिर ( पृ० १५८) लिखते हैं कि तिस पर भी ग्रीक लोगों ने बौद्ध धर्म तथा हिन्द के दूसरे धर्मों को स्वीकार किया हो, ऐसे बहुत से प्रमाण ( देखिए-इण्डियन एण्टीवरी १९११ पृ. ११-३) पुस्तकों में तथा शिला लेखों में मिलते हैं। (७१) पृ० के मेरे २७ वें प्रमाण से मिलाइये तथा पृ० के प्रमाण २८ वें को भी मिलाइये । सीलोन का राजा तिसा ( ई० पू० २४७-२०७ ) भी अशोक का समकालीन था ऐसा लिखा है, फिर इस साल के साथ उसका मेल कहाँ खाता है। मिलाइये इस लेख की टिप्पणी नं० १२७ से। (७२) देखिए-निर्णय व पृ० पर अशोक के वर्षों की गणना।

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