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महाराजा सम्प्रति के शिलालेख परदेशी शासकों के जुल्मों से जिनका उद्धार किया था उन्हें ही दासता की बेड़ियों में जकड़ना प्रारम्भ किया। उसका जन्म सामान्य४७ स्थिति में हुआ था, किन्तु प्रबल सौभाग्य के शकुन के द्वारा उसे यह आशा हो गई थी कि वह स्वयं राज्याधिकारी होगा, कारण कि उसने अपने उद्धत४८ व्यवहार से जब राजा नन्द्रम४९ का अपमान किया और जिसके कारण नन्दुम ने उसे मार५° डालने की आज्ञा दी थी, उस समय वह अपनी जान
(४७) अशोक कैसा बलवान् तथा बहादुर था यह सिद्ध करके बता दिया है साथ ही भारत पर कैसे अाक्रमण हुए हैं यह भी मालूम हो जाता है।
(४८) अशोक स्वयं राज्यकर्ता का ज्येष्ठ पुत्र नहीं था प्रत्युत मात्र राजकुमार था इससे यह स्पष्ट सिद्ध होता है। ..
(४९) बौद्ध पुस्तकों में जो अशोक के उग्रस्वभावी होने का वर्णन है उससे भी यही सिद्ध होता है. यदि इसे ही कुछ दूसरे रूप में कहें तो यों कहा जायगा कि अशोक ऐसा नहीं था जो किसी से फंसाया जा सके, मुँह पर ही खरा जवाब देने बाला था, साथ ही यदि प्रतिपक्षी सबल हो तो भी उसकी अयोग्य माँग प्रस्तुत करने पर "जैसे के साथ तैसा" होने में वह स्वयं समर्थ है इसे खूब समझता था।
(१०) नन्दुम शब्द में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग है । ग्रीक हस्तलिखित बहुत सी पुस्तकों में नन्दुम के स्थान पर अलेक्जेंड्रएम लिखा है, इससे मालूम होता है कि नन्द्रुम का अपमान नहीं प्रत्युत अलेक्जेण्ड्रम का अपमान हुआ था, साथ ही यह भी प्रश्न होता है कि एक भारतीय राजा से दूसरे भारतीय राजा के राज में उसी का परदेशी राजा की