Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 05 Author(s): Gyansundar Maharaj Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala View full book textPage 6
________________ चित्र परिचय - - पुरातत्त्व की शोध खोज से जो ध्वंश विशेष प्राप्त हुए हैं उनमें ये चित्र महत्त्व का है। गवर्नमेंट आफ इण्डिया कलकत्ता से सन् १८७६ ई० में प्रसिद्ध हुए भारतहूप स्तूपों के आलबम्व में इन चित्रों को भी बतलाया है । डा० शाहकृत "सम्राट् संप्रति” का अप्रसिद्ध साहित्य का अवलोकन करने से पाया जाता है कि सम्राट संप्रति के अविशेषों में हस्ति चिह्न का मुख स्थान है । ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाय तो इन चित्रपटां का सम्बन्ध प्रभु महावीर की कैवल्य भूमि मध्य पापा (भारत हूप) साथ होना पाया जाता है। आपके सामने जो चित्र हैं उनका परिचय इस लेख में सविस्तार . करवा दिया है तथापि पाठकों की जानकारी के लिए संक्षिप्त परिचय करवा देना अप्रसंगिक न होगा। चित्र नम्बर १ सम्राट् आशोक जिसका राजत्व समय ई०स०पू० चित्र नम्बर २ महाराजा कुनाल जो अशोक का पुत्र और सम्राट् सम्प्रति का पिता है। चित्र नम्बर ३ सम्राट् सम्प्रति जिसका राजत्व काल ई० स० पू० चित्र नम्बर ४ कंचनमाला देवी-सम्राट् सम्प्रति की माता चित्र नम्बर ५ पद्मावती देवी सम्राट् सम्प्रति की दादी चित्र नम्बर ६ च्यवन समय हस्तिदर्शन "प्रकाशक"Page Navigation
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