Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 02
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 13
________________ प्रति भी कि भविष्य तुममें झांकता है। एकदम अकस्मात ही द्वार खुल जाता है और भविष्य का तुममें संप्रेषण हो जाता है। ये होते हैं पांच प्रकार के स्वप्न । आधुनिक मनोविज्ञान समझता है केवल दूसरे प्रकार को रूसी मनोविज्ञान समझता है केवल पहले प्रकार को ही तीन प्रकार बाकी दूसरे तीनों प्रकार करीब-करीब अज्ञात ही हैं, लेकिन योग समझता है उन सभी प्रकारों को। यदि तुम ध्यान करो और सपनों वाले तुम्हारे आंतरिक अस्तित्व के प्रति जागरूक हो जाओ तो और हु बातें घटेंगी। पहली बात तो यह है कि धीरे- धीरे, जितना अधिक तुम जागरूक होते जाओगे अपने सपनों के प्रति, उतने ही तुम कम और कम कायल होओगे अपने जागने के समय की वास्तविकता के प्रति। इसीलिए हिंदू कहते हैं कि संसार एक सपने की भांति है। अभी तो बिलकुल विपरीत है अवस्था। क्योंकि तुमने संसार की वास्तविकता को इतना स्वीकारा हुआ है अपने जागने के समय, कि जब तुम सपने देखते हो तो तुम सोचते हो वे सपने भी वास्तविक हैं। जब सपना आ रहा होता है, तो कोई अनुभव नहीं करता कि वह सपना अवास्तविक है। जब सपना आ रहा हो तो वह ठीक लगता है, वह बिलकुल वास्तविक लगता है। निस्संदेह सुबह तुम कह सकते हो कि यह तो बस एक सपना था, लेकिन बात इसकी नहीं क्योंकि अब एक दूसरा मन ही कार्य कर रहा होता है। यह मन साक्षी बिलकुल न था इस मन ने तो केवल उड़ती खबर सुनी थी यह चेतन मन जो सुबह जागता है और कहता है कि वह सब सपना था, यह मन तो बिलकुल साक्षी न था । कैसे यह मन सकता है कुछर इसने तो बस एक खबर सुन ली है। यह ऐसा है जैसे कि तुम सोये हो और दो व्यक्ति बातें कर रहे हों और तुम नींद में यहां-वहां से कुछ शब्द सुन लेते हो क्योंकि वे इतनी जोर से बोल रहे होते हैं। मात्र मिला-जुला प्रभाव बचता है। ऐसा घट रहा होता है- जब अचेतन निर्मित करता है सपने और जबरदस्त हलचल चल रही होती है, चेतन मन सोया हुआ होता है और केवल कोई खबर सुन लेता है। सुबह यह कह देता है, 'वह सब धोखा था। वह मात्र सपना था। 'अभी तो जब कभी तुम सपना देखते हो तब तुम अनुभव करते हो कि वह बिलकुल वास्तविक है बेतुकी चीजें भी वास्तविक लगती हैं, अतर्कपूर्ण चीजें वास्तविक दिखायी पड़ती हैं, क्योंकि अचेतन किसी तर्क को नहीं जानता। तुम सड़क पर चल रहे होते हो सपने में, तुम देखते हो किसी घोड़े को आते, और अचानक वह घोड़ा घोड़ा नहीं होता, वह घोड़ा तुम्हारी पत्नी बन गया होता है तुम्हारे मन को कुछ नहीं घटता वह नहीं पूछता, 'यह कैसे संभव होता है? घोड़ा अचानक पत्नी कैसे बन गया है?' कोई समस्या नहीं उठती, कोई संदेह नहीं उठता। अचेतन नहीं जानता किसी संदेह को। इतनी बेतुकी बात पर भी विश्वास कर लिया जाता है; उसकी वास्तविकता के प्रति संदेह दूर हो जाता है तुम्हारा। बिलकुल विपरीत घटता है जब तुम जागरूक हो जाते हो सपनों के प्रति। तुम अनुभव करते हो कि वे वस्तुतः सपने ही हैं। कोई चीज वास्तविक नहीं; वे मात्र मन का खेल हैं, एक मनोनाटक। तुम हो |

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