Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 02
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 12
________________ यदि तुमने पिछले जन्म में बहुत - सारा धन एकत्रित किया था, यदि तुम देश के सबसे धनी व्यक्ति होकर मरे थे और गहरे में तुम भिखारी थे और फिर तुम वही कर रहे हो इस जीवन में, तो अकस्मात क्रिया-कलाप बदल जायेगा। यदि तुम याद रख सको कि तुमने क्या किया था और कैसे वह सब कुछ हो गया ना – कुछ; यदि तुम याद रख सको बहुत सारे जन्म कि कितनी बार तुम वही फिर-फिर कर रहे हो तुम, अटके हु 'ग्रामोफोन रेकार्ड की भांति हो, एक दुश्चक्र; फिर तुम उसी तरह आरंभ करते हो - और उसी तरह अंत करते हो। यदि तुम याद कर सको तुम्हारे थोड़े से भी जन्म तो तुम एकदम आश्चर्यचकित हो जाओगे कि तुमने एक भी नयी बात नहीं की है। फिर-फिर तुमने धन एकत्रित किया; बार-बार तुम ज्ञानी बने फिर-फिर तुम प्रेम में पड़े और फिर फिर चला आया वही दुख जिसे प्रेम ले आता है जब तुम देख लेते हो यह दोहराव तो कैसे तुम वही बने रह सकते हो? तब यह जीवन अकस्मात रूपांतरित हो जाता है। तुम अब और नहीं रह सकते उसी पुरानी लीक में, उसी चक्र में। इसीलिये पूरब में लोग पूछते आये हैं बार-बार कई शताब्दियों से, जीवन और मृत्यु के इस चक्र से कैसे बाहर आएं। यह जान पड़ता है वही चक्र। यह जान पड़ती हैं बार बार की वही कथा - स्व दोहराव । यदि तुम इसे नहीं जान लेते तो तुम सोचते हो कि तुम नयी बातें कर रहे हो और तुम इतने उत्तेजित हो जाते हो। मैं देख सकता हूं कि तुम यही बातें करते रहे हो बार-बार । कुछ नया नहीं है जीवन में; यह एक चक्र है । यह उसी मार्ग पर बढ़ता चला जाता है क्योंकि तुम अतीत के विषय में भूलते चले जाते हो। इसीलिये तुम इतनी अधिक उत्तेजना अनुभव करते हो। एक बार तुम्हें स्मृति आ जाती है, तो सारी उत्तेजना गिर जाती है। उसी स्मरण में संन्यास घटता है। , संन्यास एक प्रयास है संसार के चक्र में से बाहर होने का यह प्रयास है चक्र के बाहर छलांग लगा देने का यह है कह देना स्वयं से बहुत हो गया अब मैं उस पुरानी नासमझी में भाग नहीं लेने वाला में बाहर हो रहा हूं उससे संन्यास है इस चक्र से संपूर्णतया बाहर हो जाना, न ही केवल समाज के बाहर बल्कि जीवन-मृत्यु के तुम्हारे भीतरी चक्र के बाहर यह है चौथे प्रकार का स्वप्न । और फिर होता है पांचवें प्रकार का और जो अंतिम प्रकार का स्वप्न है। चौथी प्रकार का जा रहा होता है पीछे तुम्हारे अतीत में, पांचवीं प्रकार का जा रहा होता है आगे भविष्य में यह विरल होता है बहुत विरल। यह केवल कभी-कभी ही घटता है। जब तुम होते हो बहुत संवेदनशील, खुले, नमनीय तो अतीत देता है एक छाया और भविष्य भी देता है छाया यह तुममें प्रतिबिंबित होता है। यदि तुम जागरूक बन सकते हो अपने सपनों के प्रति तो किसी दिन तुम जागरूक हो जाओगे इस संभावना के

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