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आनंद पूर्ण होना चाहते हो, तो आवश्यकताओं को पूरा करो और इच्छाओं की चिंता मत करो। यदि तुम दुखी होना चाहते हो तो आवश्यकताओं को काट दो और इच्छाओं का अनुसरण करो।
इसी भांति तुम बने हो दुखी। यह एक सीधी-साफ घटना है कि तुम दुखी हो या आनंदमय। साफ है घटना-वह व्यक्ति जो आवश्यकताओं की सुनता है और उनके पीछे चलता है, ठीक सागर की ओर प्रवाहित हो रही नदी की भांति है। नदी नहीं मान कर चलती है कि पूरब की ओर बहना है या पश्चिम की ओर बहना है। वह तो बस खोज लेती है मार्ग। पूरब या कि पश्चिम कोई भेद नहीं बनाती। सागर की ओर बहती नदी किन्हीं इच्छाओं से परिचित नहीं होती, वह केवल अपनी आवश्यकताओं को जानती- पहचानती है। इसलिए पशु इतने प्रसन्न दिखायी देते हैं कुछ पास नहीं होता और इतने प्रसन्न! और तुम्हारे पास इतनी सारी चीजें हैं और तुम इतने दुखी हो। पशु भी अपने सौंदर्य में, अपने आनंद में तुमसे बढ़ कर श्रेष्ठ हैं। क्या घट रहा है? पशुओं के पास अचेतन को नियंत्रित करने को और चालाकी से चलाने को कोई चेतन मन नहीं होता है; वे अविभाजित बने रहते
दूसरे प्रकार के स्वप्न के पास तुम्हारे सम्मुख उद्घाटित करने को बहुत कुछ होता है। दूसरे प्रकार के साथ तुम परिवर्तित करने लगते हो अपनी चेतना को, तुम बदलने लगते हो अपने व्यवहार को, तुम अपने जीवन का ढांचा बदलने लगते हो। अपनी आवश्यकताओं की सुनो, जो कुछ भी अचेतन कह रहा हो, उसे सुनो।
हमेशा याद रखना कि अचेतन सही होता है क्योंकि उसके पास युगों-युगों की बुद्धिमानी होती है। लाखों जन्मों से अस्तित्व रखते हो तम। चेतन मन तो इसी जीवन से संबंध रखता है। यह प्रशिक्षित होता रहा है- 'विद्यालयों में और विश्वविद्यालयों में, परिवार और समाज में जहां तुम उत्पन्न हुए हो, संयोगवशात उत्पन्न हुए हो। लेकिन अचेतन साथ लिए रहता है तुम्हारे सारे जीवनों के अनुभव। यह वहन करता है उसका अनुभव जब तुम एक चट्टान थे, यह वहन करता है उसका अनुभव जब तुम एक वृक्ष थे, यह साथ बनाए रखता है उसका अनुभव जब तुम पशु थे-यह सारी बातें साथ लिए रहता है, सारा अतीत। अचेतन बहुत बुद्धिमान है और चेतन बहुत मूर्ख। ऐसा होता ही है क्योंकि चेतन मन तो मात्र इसी जीवन का होता है; बहुत छोटा, बहुत अनुभवहीन। यह बहुत बचकाना होता है। अचेतन है प्राचीन बोध। उसकी सुनो।
अब पश्चिम में सारा मनोविश्लेषण केवल यही कर रहा है और कुछ नहीं : दूसरे प्रकार के स्वप्न पर ध्यान दे रहा है और उसी के अनुसार तुम्हारे जीवन-ढांचे को बदल रहा है। और मनोविश्लेषण ने मदद की है बहुत लोगों की। इसकी कुछ अपनी सीमाएं हैं, तो भी इसने मदद दी है क्योंकि कम से कम यह बात, दूसरे प्रकार के स्वप्न को सुनना, तुम्हारे जीवन को बना देती है अधिक शात, कम तनावपूर्ण