Book Title: Pandav Charitra Mahakavyam
Author(s): Devprabhsuri, Shreyansprabhsuri
Publisher: Smrutimandir Prakashanam

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Page 757
________________ ७४२] [पाण्डवचरित्रमहाकाव्यम् ॥ करीरपिचुमन्दा- ११/३८७ | कर्मस्तोम- १८/११ | कषायमदिरास्वाद- ११/२३७ करीरादितरुस्तो- १२/२४२ कलक्यपि ४/१३९ कषायविषकुल्याभिः ११/२४१ करीश्वरकराक्रान्तं १२/२४३ कलयामास १३/७०१ कषायविषया- १६/२४८ करेणाथ १३/३२० कलयामिन ८/२३१ कष्टं दृष्टं ७/२१२ करेऽथ कार्मुकं १३/१२९ कला काऽप्यस्ति ४/१२२ कस्तूरस्तबक- १/१२५ करौ व्यापार- ३/६९ कलाकलापोप- ३/२१५ कस्तूरीसंस्तुतैः ७/२५२ कर्केतनार्कमाणिक्य- ४/१०४ कलाकल्पेन १३/७४३ कस्मिंश्चित्सुमनो- १३/५८५ कर्ण ! त्वमेकवीरो- ३/४२२ कलाकूपार- ३/२२६ कस्यापि १२/४७५ कर्ण ! नि म ११/३२२ | कलिङ्गवङ्ग- २/३०३ कस्यापि रथिनः १३/१६४ कर्ण ! निर्नाम ३/४२८ | कलितोद्दण्डको- ३/३९५ | कस्यापि विस्मयस्मेरा: ४/२८१ कर्णः पितरमालोक्य ३/४५६ | कल्पद्रुम- ६/३८८ | कस्याप्यौद्धत्य- १२/४९१ कर्णः प्रत्युपकाराय ३/४५१ | कल्पयन्तं १२/४७१ | का नाम पामरेणास्तु ८/२३० कर्णजाहंन ८/३२८ कल्पान्तचलितो- १३/७३७ | काङ्क्षन्ती कीर्ति- ४/२१६ कर्णजाहमना- १३/४१८ कल्पान्ताम्भोधि- १३/४९३ | काञ्चिदप्यवनी ६/२८५ कर्णतालच्छला- १३/६१ कल्पोऽयमिति १६/२६६ काश्चदुत्थापय- १४/२६० कर्णदुःशासन- १०/२१८ कल्याणपुषि १/४३३ काश्चिज्जर्जरय- १३/१६५ कर्णदुःशासना- ७/१५१ कल्याणि ! १३/१०२६ काण्डीरः ९/६१ कर्णफाल्गुनयोर- १३/७४० कल्याणि ! १३/९९ कातरान्विमनी- १२/४८७ कर्णस्ततोऽब्र कल्याणि ! १/३३ काद्रवेयैरुपद्रोतु- १३/७२७ कर्णस्याधः करं कल्लोलोत्कुलिता- १२/१४९ काननेष्वनगारेण १६/२५२ कर्णादीनां १२/३३४ कश्चासि ? ६/४८५ कानप्यधिक- १०/२५३ कर्णादीनां ततः ६/९१२ कश्चित्कुपित- ४/१९३ १३/१०७० कर्णे नष्टे भवन्ति ९/५० कश्चित्क्वचिज्ज- १२/२७९ कान्तमन्वेतु- ७/६१९ कर्णो वः सोदरो ३/४८३ कश्चित्तु प्राग्भव- १८/१८२ | कान्तारसरितं ६/३७६ कर्णो हि १३/७७७ | कश्चित्संहननो- १२/४६५ कान्तारेऽत्र कृता- १/१४० कर्णोत्तंसमणि- ४/१६४ | कश्चिदप्यन्यदा ५/३९१ | कामं कृतोपकारेऽपि ११/३२९ कर्णोत्तंसीभव- १३/७०७ | कश्चिदभ्येत्य ५/२७ | कामं प्रवर्षत्येत- १३/५७६ कर्णोऽपि ज्ञातवृत्तान्तः ९/१८३ कश्चिदस्मत्प्रियः ८/५४ | कामं मर्माविधो १३/१८९ कर्णोऽप्युवाच ३/४२५ | कश्चिदायातमुल्लूय १३/५८८ | कामं हृष्यन्हषी- ४/४७० कर्ता वा कलहं ६/८६९ | कश्चिदैक्षिष्ट ४/१९१ काममध्वक्ल- १२/२१२ कर्तिकाभिः ५/१३७ | कश्चिन्नागर- ४/१९४ काममाक्रुश्य ४/३४७ कर्तुं निश्चिन्तमात्मानं १२/५४ | कश्चिन्मौलौ- १३/२९२ | काममुत्थातुकामोऽपि ५/१८६ कर्म मर्माविद- १/२३ कषायघनवर्षेण ११/२३६ | कामासक्तस्य १/३३३ कर्मकक्षेक्षणाद्येषां १५/१०८ कषायदृग्विषाहीन्द्र- ११/२३५ | कामोऽनासक्ति- १/३३० कर्मण्यौद्वाहिके कषायनिम्नगापूरः ११/२३८ | काम्पिल्यनाथः ४/९३

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