Book Title: Pandav Charitra Mahakavyam
Author(s): Devprabhsuri, Shreyansprabhsuri
Publisher: Smrutimandir Prakashanam

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Page 764
________________ परिशिष्टः [१] पाण्डवचरित्रमहाकाव्यगतगाथानामकाराद्यनुक्रमः ॥] [७४९ गर्वं कमपि ६/३४५ | गिरिभिर्विषमः ८/४१५ | गोकुलालोक- ८/१०९ गर्वात्कुर्वन्भुजा- २/३९७ | गिरेः शिरसि १८/२६८ | गोग्रहे स्मरसि ११/२११ गलद्बहुलकिञ्जल्क- ३/५४ | गिरेरधित्यकारा- ५/९३ | गोचरेऽपररात्रस्य ५/१७ गवलश्यामलो ७/१८ | गीतार्थे मुनि- १५/८ | गोत्रं त्रातुमहोरात्रं ९/९५ गवाक्षलक्ष्यवामाक्षी-१२/१२२ | गीतेनानेन ६/५०५ / गोत्रधात्रीशसंतान- ५/४९९ गव्यूतिमात्र- ७/२४७ | गीयमानगुणं ११/२७ | गोपालतिलकः २/३६५ गाङ्गेयधृतराष्ट्र- ४/११ / गीर्वाणगिरिदायादाः ६/६७ | गोपुरे वारनारीणां १२/१४२ गाङ्गेयधृतराष्ट्राद्या ५/४७१ | गुडप्रक्षरपर्याणो- ११/३८८ | गोपेभ्यस्तदुपश्रुत्य २/२७५ गाङ्गेयस्तद्वचः १/२७४ १६/५७ गोपो गोप १२/९४ गाङ्गेयस्य १२/३६२ | गुणग्रामैक- १/२२४ | गोप्यस्ताः परितः २/२३१ गाङ्गेयस्याङ्क १३/१४७ गुणश्रेणिसुधा- १/३८६ | गोमायुरायुरन्ते- १/८७ गाङ्गेयोऽयमयं १०/३२७ | गुणाम्बुनिधि- १/३५५ | गोमुनिब्राह्मण- १०/२४५ गाढमालिङ्ग्य २/१४८ गुणैः कुमुदकुन्दे- २/१३४ | गोविन्दः ७/११४ गाढविश्रम्भ- ६/३८५ गुणैः श्रितः ११/२१ | गोविन्दराजकल्प ११/२१ १६/१ गाण्डीवधन्वनः १३/४३५ | गुणैरस्येन्दुदाया- ५/४७० | गोविन्दायोपदी- १६/१०६ गान्धारस्वामिना ६/९१० गुणैर्लोकोत्तरै- २/२२० गोव्रजेषु १०/६९ गान्धारीकुक्षिसूगृहँः ६/९०८ | गुप्तं खिड्गास्तुदन्ति १२/१३५ गोशीर्षचन्दन- ५/१६१ गान्धारीधृतराष्ट्रौ १७/७८ गुप्तिपालैरिवा- १६/२३१ गोशीर्षचन्दनाद्यैश्च १८/२५० गान्धारीप्रमुखाश्चाष्टौ ३/११६ | गुरुः कोदण्ड- १४/७६ | गोष्ठोपकण्ठे २/२७० गान्धारीमाद्रिकामु- ५/४८९ | गुरुं रक्षन्निजग्राह ३/३४१ | गौरवाहविशेषेण २/४२ गान्धारीसुतगृह्याणा- ६/९४३ | गुरुपादाः प्रसादाय ३/३०८ | ग्रहग्रस्त इवो- १३/५६५ गान्धारेयस्तु १२/३१० गुरुभक्तिसुधा- ३/२७२ ग्रहाणां ग्रामणी: ८/४६९ गान्धारेयोऽभ्य- ६/९८७ गुरुर्वा त्वं पिता ३/२४२ | ग्रहैरिव ग्रहाधीशः १२/४८६ गान्धारेयं ११/३४७ गुरुस्ताभ्यां गुणा- ४/४४७ ग्राह्याः प्रतिभुवः ७/६८ गापयित्वा निजां ६/४४ गुरूणामनुरोधेन ६/१०१८ | ग्रीवा रतिपते- १६/१८६ गाम्भीर्यादिगुण- २/१८ | गुरौ पितरि १३/२५ | ग्रीष्मे भीष्म- १६/१०१ गायद्भिः कृष्ण- २/३५५ | गृहाण दारन्पौराणां ८/२६४ [घ] गायन्तश्च १५/१२८ | गृहाण रे क्षणा- ५/३४२ ७/६६६ गिरं तामन्वगुस्तस्य ११/१५९ | गृहाण स्वच्छेय- ६/७९४ घनसाररसाकी) १६/१५५ गिरं तामुररीकृत्य १२/१९५ | गृहाभिमुखमायान्तं ३/२४८ घनोपरोधनिर्मुक्तो ५/१० गिरमाकर्ण्य ३/४२७ | गृहाभ्यर्णमुपेतस्य १६/३०१ घन्नान्नौ(नौ) १३/६० गिरमित्यादिका- ६/३३६ | गृहीतं नखरै- १३/४३६ [च] गिरमेतां च ५/४७७ गृहीतास्त्रेण १०/३०६ | चकम्पे ७/५६८ गिराऽथ १३/६२९ | गृहे नीत्वा पुरः ३/४६७ चकार मथुरा- २/४४२ गिराऽथ दधि- ६/८२२ | गृहेऽप्येतदरक्षन्तः ६/९७३ | चकार सर्वसावध- ११/२५०

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