Book Title: Pandav Charitra Mahakavyam
Author(s): Devprabhsuri, Shreyansprabhsuri
Publisher: Smrutimandir Prakashanam
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परिशिष्टः [१] पाण्डवचरित्रमहाकाव्यगतगाथानामकाराद्यनुक्रमः ॥]
[७७५ परं परस्पर- १/१२३ | परिचरितपदाब्जः ७/७०५ | पश्चादपि प्रयास्यन्ति १०/३३६ परं पिपासामार्यस्य ९/२७८ | परिच्छदबहुत्वेऽपि ७/१५२ | पश्चादुच्चेरुरद्री- ४/४०६ परं पुरा वणिक्पुत्र- २/७३ | परिज्ञायावधि- ६/४४४ पश्चादेत्य
६/४७७ परं बद्धरणारम्भसंरम्भे ५/३६० | परिणेतुं पुरो ९/१५७ पश्य मां
८/९५ परं ममानुरोधेन . ८/१७७ | परिणेष्ये १६/२०
पश्य मित्रं
१३/७८९ परं मया दुरात्माऽयं ११/१९६ | परितो रत्नकेयूर- ४/१६६ | पश्यतां ११/१३८ परं मान्यत्वमाप्यापि १०/१२ परित्यक्तान्य- १४/३०२ पश्यतां
१४/२६३ परं यदि रणे १७/११९ परिदेवित
७/२०५ पश्यतां
७/२१४ परं विविधकेलीभि ३/१९८ परिधानपटार्धन १०/६८ पश्यतामथ ७/६९५ परं विश्वैकविश्वा- ५/१०१ | परिधाप्य दुकूले ६/७३१ पश्यतामेव १३/९२४ परं श्यालारिरस्यायं १०/२०९ परिपीताऽऽसवाः १६/८९ पश्यतामेव ३/७३ परंस यदि
१२/७१ परिभ्रमसि
९/३१६ पश्यतोऽथ शमं १८/१७७ परःशतापराधं १४/१२४ परिभ्रष्टमिव ४/१९६ पश्यत्यास्यं ततो १०/४४२ परक्षेत्राण्यभिक्षु- १२/१६६ परिम्लानमुखो १८/२३२ |
पश्यत्येवाति
१६/२६ परप्रमोदसम्भार- ५/३७१ परिवेत्ता भविष्यामि ४/३१७ पश्यन्तः परितः ५/४३६ परमङ्गलगीतानि १६/३०० परीक्षान्तरमप्यस्ति ६/८२६ | पश्यन्ति स्म १३/१३२ परमद्यापि
परेण विधृतच्छत्रां ४/३८० | पश्यन्नपि सुधा- ८/३९१ परमात्मलयाराम- १३/५१४| परेद्यवि।
६/५०० पश्यन्स्मेरमुख- ७/५२४ परमात्मस्वरूपं ६/६७३ परेद्यवि नृपावासे ६/६९४ पाञ्चजन्यो
१४/६३ परमित्थं मम
३/१७५
परेद्यवि समं १७/२०५ पाञ्चालदुहिता- ६/९५६ परमर्वी च कन्या १/३०८ परोपकारः
२/२४ पाञ्चालप्रमुखा- ११/४१ परमेतर्हि ते १३/६४७ | परोलक्षाणि १४/२४७ पाञ्चालविशिखा- १३/९८५ परमेष्ठिस्मृतौ ८/३१ पर्यणंसीत्करी १३/२९६ | पाञ्चाली नयनौ- ४/१२३ परवित्तेषु मे १३/१९९ | पर्यधाच्च समाकृष्य ६/८३३ | पाञ्चालीचिकुरा- ११/१४५ परस्परस्य १०/२५७ | पर्यन्तशिखरस्याग्रे ३/६१ | | पाञ्चालीलब्ध- ५/७ परस्याः
१२/४७९ पर्यन्ते तपसो- १८/१६२ | पाञ्चालीस्पृहयालूनां ४/१२४ परां तज्जन्मनि २/२८ पर्यायेणाथ १७/२३८ पाञ्चाल्याः
९/१७१ परां परस्परावास- १०/४७९ पर्वतं कुलिशेनेव १०/२७५ | पाञ्चाल्या दक्षिणः ४/४१७ पराक्रममयीं १३/९७६ पलायध्वं
६/४५४ पाणावर्पितनाराचं १६/१७७ पराक्रमेण रूपेण १/४६७ पलायनकृते- १/२९५ पाणिना पाणिमुत्पि- ६/९९५ पराजयनितान्ता- १४/१५३ पलायिष्ये तदाश्वेव १०/३३३ पाणिमोक्षविधौ ५/४०५ पराजित: कुण्ड- ३/१२५ पल्यङ्गं
७/२५० पाणिमोक्षोत्सवे १/५३ पराञ्जश्चक्रिरे १३/७० पल्लीन्द्रपुत्र
३/३१३ | पाणिसम्पुटमाबध्य ५/१०० पराभवसहस्त्राणां ७/३९७ | पवमानोपमानस्ते ३/७ | पाणौकृत्य ६/६१३ पराभूत
६/९० पश्चादपि गुरुप्रीत्या ९/१२४ | पाण्डवं प्राग्दृशा ८/३४१

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