Book Title: Pandav Charitra Mahakavyam
Author(s): Devprabhsuri, Shreyansprabhsuri
Publisher: Smrutimandir Prakashanam
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श्रुत्वा तं
प
| श्रुत्वेति
७९८]
[पाण्डवचरित्रमहाकाव्यम् ॥ शिवश्रीदत्तसङ्केतः . ५/२२४ | शौडीयौदार्य- १/५५१ | श्रुतीर्मत्सरिणां तूर्यैः ४/४१४ शिवादेवी- १६/१६७ | शौण्डीरकुञ्जरे १३/५७७
७/५९२ शिवाश्चाशिवशंसिन्यो ३/१३५ | शौण्डीरचूडारत्नेन ५/३५८ श्रुत्वा मन्युमयी- ९/८२ शिशुपालवधा- १४/१३४ शौण्डीराणां ११/१३१ श्रुत्वा विष्णु- १७/३४५ शिशोस्तस्यानु- २/१९७ शौण्डीर्याहङ्कतीः ४/२३४ श्रुत्वेति
१३/८९२ शीतांशुशीतला- १६/१६१ शौण्डीर्यो
७/४७९ | श्रुत्वेति
१७/२०३ शीर्षच्छेद्यो ७/५९३ | शौरिः सुरैभृत- २/१९३
७/६८५ शुक्तिरुन्नति- ७/३९४ | शौरि शौर्यकथा- २/१५६ | | श्रुत्वेति कस्य- १७/२५३ शुक्लं ध्यान्नथ १५/१२४ | शौरिं जगाद २/१५२ श्रुत्वेति गिरमा- ६/७१८ शुचं कृत्वैवमापीय ९/२७९ | शौरिवितीर्य १/४२० श्रुत्वेति नीति- १/१६२ शुचिर्यद्विक्रम- ४/२२९ | शौरिस्तु निस्तुषा- २/४३८ श्रुत्वेति पाण्डवोदन्तं ८/१३६ शुद्धधीधृतराष्ट्रोऽथ ११/१९२ | शौर्यं सत्त्वमहङ्कार- १०/१३७ | श्रुत्वेति प्रोल्लस- २/२६४ शुद्धया गन्ध- १६/७३ १६/७३ | श्यामायुष्टोमय- १२/३२८ | श्रुत्वेति मामिका
८/५३८ शुद्धः सत्कृत्य ६/७०५
[श्र]
श्रुत्वेति राजा २/२४० शुद्धैरशनपानाद्यैः ४/३७४ | श्रद्धासंनद्धसर्वाङ्गो १३/२७५ श्रुत्वैतल्लोकतो ६/७६१ शुभे तवायमाकारो १०/७९ श्रमानुत्तान- ६/४८१ श्रूयतां तु
७/१६८ शुभैरेभिर्महास्वप्नै- १६/६५ श्रान्ता वनविहारेण १/५७८ श्रूयतां देवि २/४६ शुशोच विपणौ १२/६ श्रावणे श्वेत- २/२४२ श्रृङ्गाग्रवद्गिरेरापः ६/९३९ शुश्राव दुःश्रवाः ५/२८३ श्राव्यमाणं ११/२९ | श्रृङ्गाररसपूर्णायां ६/२६१ शुश्रूषाबहुमानाभ्यां ७/३२८ | श्रियं विश्वत्रय- १/१ | श्रृणु त्वं व्योम्नि १/२१० शून्यारण्यनिभा १३/३८० | श्रियः स्त्रियो वा १/३०५ | श्रृणु विश्वम्भराधीश ९/३४५ शूरं प्रत्यात्तधाराल- ११/१५० श्रिया नूतनया १४/३०५ | श्रृण्वन्ति १/२४४ शूरस्यापि
१२/४५० श्रियो विहितविश्रान्ते- ४/२०८ | श्रृण्वन्स द्वारिकालोक- ६/४३ शेखरस्त्वं
७/१२१ | श्रियोऽप्यधर्मसंपृत्ताः ११/१७७ | श्रेणीबद्धैस्तुरङ्गै- १२/२३० शेषास्तु मुषितो- १४/९५ | श्रीनेमिना पुरा १८/७४ | श्रेयःपीयूष- १८/८३ शैवलिन्यः कचै १३/८८ | श्रीनेमिस्वामिनो १८/१८ | श्रेयस्करस्तदेतैस्तै ११/२८२ शैशवादप्यजायन्त ३/१५५ | श्रीपतिं प्रति- २/४०२ श्रोत्रपात्रीकृता १८/२१३ शोकमानन्दतां ५/४१४ | श्रीबुद्धिसागरा- ६/१०९ श्रोत्रेणान्तः १२/४१२ शोकाग्निदह्यमाना-१३/१००१ | श्रीमन्नेमिकुमारस्तु १६/७ श्लाघामित्या- १६/६० शोचन्तमिति १७/३५० श्रीमातङ्गीपरीरम्भ- ११/२२७ श्वश्रूभिः सकृद- २/४४ शोच्यं किमिव १३/२७९ श्रीरियं ते कृतार्थी- ८/१०८ श्वश्रूशुश्रूषणप्रीतचेताः ७/४१७ शोणदृष्टिपुटैरष्टा- १४/१७१ श्रीवत्सं १६/२९८ श्वापदैरापदं ७/३६४ शोणितोक्षित- १३/१०६० श्रीशुद्धान्तगजाश्वा- १२/४६३ श्वासोद्भूतैरिव १२/२२३ शोषयन्सैन्य- १३/५३१ | श्रुतायुधः सुवीर्यश्च ३/१२३ श्वेतच्छत्रापदेशेन १४/२९८ शोषयिष्यन्नि- १३/५२३ श्रुतिनिर्भेदिनि- १३/७२

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