Book Title: Pandav Charitra Mahakavyam
Author(s): Devprabhsuri, Shreyansprabhsuri
Publisher: Smrutimandir Prakashanam

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Page 845
________________ ६०९ ७५ ७२ ८३०] [पाण्डवचरित्रमहाकाव्यम् ॥ [क] २७४, २७५, २८०, ३८६, कंसः [ ] ५२, ५३, ५४, ५५, ५६, ६१, ३८८, ३८७, ३९७, ४३५, ६२, ६३, ६४, ६६, ६८, ६९, ४४१, ४४२, ४७२, ४७४, ७०, ७१, ७३, ७५, ७६, ७७, ४७७, ४९६, ५७०, ५७६, ७८, ७९, ८०, ८१, ८२, ८३, ५७८, ५७९, ५८१, ५०९, १४५, ४५५, ४८६, ४८७, ४८८, ५५३, ५५६, ५६९, ५७०, ५०२, ५९९, ६०७, ६१७, ६२३, ६४३ ५७४, ५७७, ५७८, ५७९, कंसनिषूदन [ कृष्णः] ६२४ ५८०, ५८१, ५८२, ५८३ कंसविद्विष [कृष्णः] कर्णकिरीटि [कर्णार्जुन] १०४, ४४१, ५७७ कंसविध्वंसी [कृष्णः] ४६९, ४७२, कर्णफाल्गुन [कर्णार्जुन ] ४३८, ४५२, ५७७ ६१७, ६२३, ७०० कलिङ्ग [ देशः] २२५ कंसान्त [कृष्णः] काम्पिल्य [ नगरम् ] १२८, १३०, ४४७ कंसान्तक [कृष्णः] २८८, ५१० काम्यकं [वनम्] २८६ कंसाराति [ कृष्णः] ४७७, ६०७ कालकेतवः [ राक्षस:] ३५९ कंसारि [ कृष्णः] १९४, ४५१, ५२३, कालि [ सर्पः] ६७७, ६८३ | कालिन्दी [ यमुना] ६९, ७४ कङ्क [ युधिष्ठिरः] ३२३, ४१५, ४३३, काश्मीर (देश) ४३४, ४३५, ४४५ | काशिराज [ अम्बापिता] २३, २४, ३६, २७ कपिकेतू [ अर्जुनः] ६१३ | किरीटि [ अर्जुनः ] १०४, १०८, ११७, कपिकेतन [ अर्जुनः] १२०, १३७, १४८, १४७, १४९, १५०, १६५, १६५, १८१, १८७, १८८, १६९, १७४, १७६, १८७, १८९, १९४, १९५, ३५८, १८९, १९०, १९८, ३२९, ३६१, ३६३, ३६८, ३६९, ३५२, ३५८, ३६३, ३६७, ३९०, ३९१, ४१७, ४४५, ३६८, ३८१, ३९६, ४००, ५२१, ५३४, ५३५, ५५३, ४५१, ५३५, ५४०, ५५०, ५७०, ६१२ ५५१, ५७३, ५९१, ६२८ कपिध्वज [ अर्जुनः] १०७, १४७, १५०, किर्मीरवैरि [ भीमः] ५६६ १६५, १७४, १८२, १८४, | किर्मीर [ राक्षसः] २८५, २८६, ४५५ १९०, १९१, १९५, १९८, | कीचक [सुदेष्णाभ्राता] ४२०, ४२१, ४२२, ३०३, ३६२, ३६८, ४४२, ४२३, ४२४, ४२५, ४२७ ४४३, ५१०, ५२२, ५३०, कीचकवैरि [ भीमः] ६०८ ५५०, ५५२, ५५३, ५६४, | कीर [ देशः] ७२ ५६९, ५७७ कुण्डिन [ देशः ] २२३, २२४, २२७, कपिल [ धातकयां वासुदेवः] ६८२, ६८३ २४३, २५९, २६५ कर्ण [ कुन्तीपुत्रः] १०४, १०८, ११७, ११९, | कुण्डिनेशात्मजा [ दमयन्ति ] २४९ १२०, १२१, १२२, १२३, | कुन्ती [ पाण्डवमाता] ३६, ३७, ३८, ४१, १२४, १२५, १४४, २१६, ४३, ४४, ४५, ५२, ६७,

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