Book Title: Pandav Charitra Mahakavyam
Author(s): Devprabhsuri, Shreyansprabhsuri
Publisher: Smrutimandir Prakashanam

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Page 789
________________ ७७४] [पाण्डवचरित्रमहाकाव्यम् ॥ नेमिमालोक्य १६/२२३ | पञ्चभ्यस्तनयामेकां ४/३१८ | पत्नीवृत्तं यथा- १/७२ नेमिरस्मत्कुले १६/३९ पअभ्योऽपि . ५/६ पत्युः प्रसादा- २/२५ नेमिरूचे न १६/१८ | पञ्चमूर्तिकमात्मानं १४/३१४ | पत्युः शशंस सा २/१७९ नेमिर्जगाद १६/२२७ / पञ्चवर्णरुचीन्- १७/१७१ | पत्युर्विपत्तिशोकेन ४/४६० नेमेर्विकारमाधातु- १६/९८ | पञ्चवर्षीमतीत्यैव- ८/५५८ | पत्युश्च देवराणां ९/६६ नैगमप्रमुखाः ६/५९० पञ्चशत्या १८/५ | पत्ये शशंस सा ३/६ नैगमेषिन्निमे ८/५१८ पञ्चषान्विशिखा- ९/३१५ | पत्रिभिस्त्वभितो- १३/६५७ नैतन्न्याय्यमहो ९/३९ | पञ्चाङ्गचुम्बित- १३/७९६ | पथि नियूंढसाहाय्या ८/४१९ नैतावतैव ७/४४६ | पञ्चानां पाण्डवेयानां १३/९७९ / पथिकाश्वासनाहेतुः ९/२५५ नैमित्तिका ७/४३२ पञ्चानामपि ८/५४४ | पदातौ द्रुपदे ४/६५ नैव लोभ ११/१८६ पञ्चानामपि ९/१६२ | पदानि नवसु १७/२४ नैवं चेत्तदमुं पापं ६/१००८ | पञ्चानामपि ९/१७३ | पद्मनाभपताकिन्या १७/१२६ नैवास्ति विक्रमो १/३०९ पञ्चापि ७/१८३ पद्मनाभोऽथ १७/१२१ नैष ते यदि ६/५२७ पञ्चापि पाण्डवा : १२/४२४ | पद्मनाभोऽब्रवीद्देव १७/१४५ नैसर्गिकवधूरूप- १६/१८१ | पञ्चालपृथिवीपालः ४/११९ | पद्मोत्तरो हरि २/३५८ नो चेदमी पुरस्ताव- ५/१७३ | पञ्चाशद्योजनी ८/२९५ पन्थानस्तीर्थशैलानां ५/६१ नोद्वेगहेतवे ११/१७० | पटचित्रेऽपि १/५२९ पपाठाल्पेन १/१३१ न्यञ्चितोच्चैः १२/२५७ पटप्रान्ते ६/५२९ पपात ६/४७५ न्यस्तपूर्वी १३/६६५ पठाः शत्रून्न १२/४४९ पयःपानेन पीनत्व- २/३८८ न्यायशैलपविर्लोभो ११/१८७ पणाभावात्पृथासूनु- ६/९४० परं कपिध्वजो १३/१२५ न्यायोऽपि स ११/२१८ पण्डसङ्गाहिणः ११/३९० परं कामातुरः १०/१४२ [प] पतत्रिण इव १३/१०८८ परं किं कुर्महे १३/४१ पक्षपातेन कंसस्य १२/९८ पतद्भिस्तच्छरा- १३/४२४ परं किं नाम १०/४३६ पक्षिणोऽपि प्रियां १०/१३८ | पतन्तः पयसामो- ५/४९४ परं किमपि १२/१८० पङ्कजोत्फुल्लनयना ७/६२२] पतन्ति पत्रिणो ६/२१७ परं कुमार १/२०५ पङ्कोपमे कुले ३/२२५ पताकापल्लवै- १३/१८६ परं ते चेदभि- १०/२२७ पञ्चग्रामार्थनापूर्वं ११/३६० पताकिनीपताकासु १३/५६१ परं त्वत्कुलदेवीनां ४/२५० पञ्चग्राम्याऽप्यमी १३/१०४१ पतिं विना ६/५३२ परं दुर्योधनेनैव ११/३४४ पञ्चताशालिनी १३/९८६ | पतिणां पत्र- १३/५१ १२/३०९ पञ्चत्वमस्माद- ८/३०९ | पतिव्रता न परं धात्रीपते- २/१३१ पञ्चधाऽऽचारधारिभ्यो १५/१०९ | पतिव्रतामयं ५/१०५ परं न ७/५४२ पञ्चपुण्ड्रैर्हयैरेष १४/१४७ | पतिव्रतामयं परं न कोऽपि १६/२४७ पञ्चपुत्रपवित्रां ७/१८८ | पतिव्रताव्रतस्यास्य ५/३४० परं निरनुरोधाऽसि ५/२७१ पञ्चभिः सह १०/४४६ | पत्नी तु द्रौपदी ८/५२१ परं पतिवरा- १/१६६ पञ्चभिर्लालितौ ३/४७ पत्नीमुवाच . १/१४२ | परं परमसौन्दर्य- १/६३

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