Book Title: Pandav Charitra Mahakavyam
Author(s): Devprabhsuri, Shreyansprabhsuri
Publisher: Smrutimandir Prakashanam
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परिशिष्टः [१] पाण्डवचरित्रमहाकाव्यगतगाथानामकाराद्यनुक्रमः ॥]
[७७३ निर्वापिते चिताग्नौ १८/२५२ | निषिद्धाः पाण्डुपुत्रेण ८/३७९ | नीलोत्पलदला- १४/१४२ निर्विलम्बं
७/१९२ | निषिद्धे रणसंरम्भे १३/६१२ | नीव्यां नेमि- १६/११५ निविष्टयोमिथः ११/२ | निषिद्धौ
७/५८ | नूतनातपसं- १३/८२६ निर्वेदाख्यः १७/३६० निषिध्य १३/२२८ नृतनाम्भोदगम्भीरं १२/११७ नियूंढस्वामि- १४/२१९ निष्कलङ्कमृगाङ्काभं ३/४४८ नूतनाम्भोदव- १३/४८८ निलीनमिव ६/४२२ निष्कलङ्के १३/८७९ | नूतनो मम
७/५३ निवर्तस्व
६/४६७ निष्कारणोप- ७/४०४ नूतनोलूलकल्लो- ७/६३७ निवातकवचा नाम ८/२६८ निष्कारणोपकारी ९/३३९ / नूनं कर्मेदमस्यैव १७/९६ निवापं सहदेवोऽपि १४/२५६ | निष्क्रामन्ति स्म १३/६३५ नूनमन्यूनमाहा- १८/१७१ निवाप्येत ११/१०७ निष्क्रामयन्तम- १३/४१७ नूनमेष
११/१५३ निवार्य तूर्यनिर्घोषं ३/३८४ निष्टां वचः ११/२०० | नृत्यत्कबन्धनि- १४/१५४ निवासन्परितः १२/२३३ निष्पर्यायं तु
नृपः स्मृत्वा
१/७४ निवासाः क्ष्माभुजां ५/४८० निष्पुण्यक १३/३३३ नृपतिश्चेक
७/६९८ निवासेषु १२/४५२ निस्वाननिस्व ४/४३ नृपपञ्चाननाः १/३०० निवासो मगधेशस्य १२/३३३ निहतः स तथा ५/३५३ नृपश्च
७/४३३ निविष्टममरैः १८/४ निहत्य क्रूरकर्माणं १०/२७० नृपा दशसहस्राणि १४/११९ निविष्टान्ते पटान्तेन ९/३०९ निहत्य तं तथा १२/२८० नृपागारात्पुरस्कृत्य ६/३५० निवेद्य बन्दि- १२/३८० निहत्य हेलया
नृपान्तिकनिषण्णायाः ८/४३ निवेश्य स्वयमासीन: १०/४२६ निहन्ति यत्प्रतापो- ६/१५४ | नृपोऽथ सूनवे १/१५५ निशम्य
१६/३३७ निहन्ति स्म १३/३६० | नृपोऽप्यूचे न १०/४८ निशम्य सोम- १४/३२ निहन्तुं प्रस्थिता १२/१०१ | नृलोक इव १/३८१ निशम्यामूदृशीं ९/१३२ नीचैरूचे च तं ५/३५७ नृसिंहवपुरुत्सृज्य १७/१४४ निशम्येति
५/२९१ नीचैर्मार्गद्रुशाखाभिः १३/७३९ | नेताश्रुसलिलैः ६/९६९ निशम्यैतत्
६/७७९ नीतस्तेन ततः १/१३३ | नेत्रकोणेन कौन्तेय ५/१५४ निशातविशिख- १३/५२ नीतां वरूथिनी १०/३६९ | नेत्रनीलाब्जमाला- १०/२९० निशावसाने
६/८१८
नीतिमान्नतिमानेव १३/२६४ | नेत्रपीयूषवापी ६/२४० निशि जातप्रभातायां १/५४२ / नीरङ्गीस्थगितं यस्याः ६/९६४ नेत्रयोः पात्रतां तत्र ८/६२ निशितैः सर्वतो १/३२० नीरन्धैरम्बरे १३/२८८
नेत्रयोस्तत्र
१/४५७ निशीथमारुतः ७/२२४ नीरादिवोर्मयः १३/७०२
नेत्राभ्यां
१३/५५६ निश्चिकायात्मनः १३/७३३ नीरैरनुक्षपं
नेत्राम्भोजैश्च १६/२०३ निश्चित्यानुभवै- १८/१७ | नीलदुद्यानकल्लोलिसरः १०/४ | नेत्रैः सेन्दीवरा निश्चिन्तोऽसि ८/१६९ | नीलवेदीपरि- ४/१०० नेत्रोत्सवाय ८/३४४ निषड्ने योऽगम- १३/१०७ | नीलाश्मकुट्टिमे ४/९७ | नेदीयसि ततो १६/१७३ निषधापतिरादाय ६/२८४ | नीलाश्मद्वारशाखांशु ४/१०५ | नेमिना स्थापितः १६/३६ निषादिसादिभीमेन ८/२३८ | नीलाश्वेन १४/१४१ / नेमिनीराहति- १६/११६
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