Book Title: Pandav Charitra Mahakavyam
Author(s): Devprabhsuri, Shreyansprabhsuri
Publisher: Smrutimandir Prakashanam
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७७८]
[पाण्डवचरित्रमहाकाव्यम् ॥ पूर्वमाज्ञाप्य १३/१०७६ | प्रक्षिप्तरत्नमालेन . ९/३११ / प्रतिजज्ञो च १३/६३० पूर्वशौण्डीरदोर्दण्ड- १२/४९९ प्रक्षिप्तशिरसं ६/६७१ / प्रतिज्ञाभङ्गभीतोऽथ ८/१७० पूर्वसङ्गतिकं १७/१५३ | प्रक्षिप्य कर्पूरं २/२८३ प्रतिद्वारमलिन्देषु ५/४४३ पूर्वाङ्ग इव .१३/९३२ प्रक्षिप्य पुरतः १३/९१२
प्रतिद्विपधिया १२/१५३ पूर्वापरमरुन्नु- १३/५८३ प्रक्षेप्तुमनसः १२/४७८ | प्रतिध्वान इवैतां ५/४९ पूर्वोपार्जित
२/४९ प्रख्यातः सूनु- ३/२५६ प्रतिपक्ष इवाक्षोऽयं ६/३३४ पूष्णि चास्तं १३/७६९ | प्रगल्भते किमत्रैवं २/४५२ | प्रतिपक्षोदयाः १३/९८३ पृच्छति
६/५४५ | प्रगल्भबुद्धयो ८/३२३ | प्रतिपढें प्रतिस्तम्भं ६/८९६ पृथक्पृथक्परि- १३/१०६१ / प्रगे च वचनै- १८/५० | प्रतिपत्तिचल- १/२८९ पृथग्जनोचिता ५/५३ | प्रग्रहाकर्षणादूर्ध्वं १२/१४६ प्रतिपन्थी
८/१२५ पृथा पप्रच्छ ३/९२ | प्रचण्डः पुण्डरी- ७/३४६ प्रतिपेदे मया १/२१४ पृथातः प्रथम
२/१२ | प्रचण्डतरसा- ७/५७४ प्रतिबुद्धास्तया १८/२४१ पृथाऽपि
__७/५५९ | प्रचेलुर्मञ्चत: ४/२६७ प्रतिमन्दिर- १६/१६४ पृथाऽपि तत्तिर- २/१३ प्रच्युतप्रभुशक्तेर- ११/५४ प्रतिमन्दिरमुत्क्षि- ५/४८५ पृथुकीर्तिः पृथा- ५/२२६ प्रजाप्रियः प्रिय- १/६२ प्रतिमामुपसंहृत्य ६/३०३ पृष्टा भूमीभुजा ६/७५४ प्रजावतीनां
१६/९६ प्रतिरथ्यमदीयन्त १४/२९० पृष्टोऽन्यदा स ६/६९१ प्रजासञ्जनितत्रासं ६/२४९ प्रतिवेश्म १४/२८९ पृष्ट्वा सत्यवती १/४५३ प्रजिहीर्षु पुना १४/१७५ प्रतिषिद्धे ततो १३/३४३ पृष्ठे वहन्ती ७/३३१ प्रज्वलज्ज्वलनाः १३/५५८ प्रतिस्थानं १८/१४५ पेतुषी सिन्धु- १२/२२९ प्रणन्तुं
७/५६३ प्रतिस्थानमथ ५/४४२ पैत्र्यमेव क्षितेः ६/१४४ प्रणम्य धर्म
७/३६ | प्रतीक्ष्य
१६/३०४ पौरामात्यादयः ५/२७४ प्रणम्य वसुदेवो- २/५७ प्रतेकमेषां
७/७३ पौरामात्यादि६/३६१ प्रणम्यासन्न
१६/२ प्रतोल्यां लम्ब- २/११५ पौरुषं पुरुष
१३/४२२ | प्रणस्याथ पुरी १७/१३५ | प्रत्यर्थिप्रार्थित- ६/२६७ प्यधीयन्त १३/७२३ / प्रणिपत्य कृपा- ३/२२७ | प्रत्यनीकभटैर्भीष्म- १०/३४८ प्रकामं यदि १०/३३८ | प्रणिपत्य यथौचित्यं ५/३८४ | प्रत्यपद्यन्त ८/१८२ प्रकामकमनीये- ६/२७४
प्रत्यरण्यं प्रतिग्रामं ६/७१६ प्रकाशः
७/५८१ प्रणेमे मणिकोटीर- ५/५२४ | प्रत्यौषीच्च १३/३८५ प्रकाशमेव ७/१६२ | प्रतस्थेऽथ १२/१९६ प्रत्यावुच सतां १/११५ प्रकीर्णकानि ३/४४९ प्रतापदुःसहे
प्रत्यावृत्तस्ततः ३/२८६ प्रकोपं शम- ११/३६१ प्रतापमिव ६/३२२ प्रत्यावृत्ते वरे १६/२७१ प्रक्रीडति
१०/३६२ प्रतापी तनुज
१/४१३ प्रत्याशंप्रसरद्दी- १/५४८ प्रक्षरन्तीस्ततः १०/३९८ प्रतारितस्तया ५/२९४ प्रत्याहर्ता प्रभावत्या ५/३७८ प्रक्षाल्य परितः १३/८१७ प्रतिक्षिपन्तः १/३१५ प्रत्युज्जगाम ५/३९९ प्रक्षाल्य मलमुद्वीक्ष्य ६/४२ प्रतिगृह्य
६/२८७ प्रत्युत प्रज्वलत्याप्तो-११/२६९

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