Book Title: Pandav Charitra Mahakavyam
Author(s): Devprabhsuri, Shreyansprabhsuri
Publisher: Smrutimandir Prakashanam

View full book text
Previous | Next

Page 802
________________ मुनावेवं परिशिष्टः [१] पाण्डवचरित्रमहाकाव्यगतगाथानामकाराद्यनुक्रमः ॥] [७८७ मुञ्च मुञ्च ६/३८६ | मुष्टिरन्योऽन्यनिर्मुक्तैः १३/६५६ | मृदङ्गपणवादीनि मुञ्चन्सकृत्यधारा- ५/५०१ मुहुः सिक्तं १७/२७१ मेदिनीपतिमा ५/४१८ मुञ्चान्यदभिषिञ्च १६/२१४ | मुहुर्महुर्ब्रवन्नेवं ७/४७४ | मेदिनीपतिरन्ये- ५/४६३ मुञ्चेन्महान्वृथा ११/१८९ मुहुर्मुहुः स्पृश- ८/३९४ मेदिनीशोऽथ ६/२४८ मुदं मेदस्विनीमेतां ७/१७२ मुहुर्मुहुर्वितन्वत्या मैत्री मञ्जरयद्भिश्च १४/२७८ मुदा जाम्बवती- १६/१२१ मुहुर्लुलोठ १६/२८३ | मोक्षं प्रति १८/२४० मुदा लोकस्य ४/३०७ मुहुर्विज्ञापितो ७/२९ | मोहयन्वाहिनी १३/४६१ मुदितैर्बन्दि- ५/५१४ मुहुश्चिन्तयतां ९/३५५ | मौक्तिकस्वस्तिको- १०/४७२ मुद्रामादृत्य ७/४०९ मूढबुद्धिर्यदासाद्य १७/६४ | मौलिनीलमणि- ४/४०४ ९/१२५ | मूतैरिव यशोबीजै- ५/४९७ | मौलौ धृतसित- १६/१९६ मुनिनाथो७/४९९ / मूर्छान्ते विलपन्तौ ६/७१५ | म्रियन्ते ७/४९२ मुनिभिज्रकायस्त्वं ७/५७९ | मूर्छामेघावली- २/४१० [य] मुनिभ्यो १८/२०४ | मूर्छाविरामे ७/३०२ | यं निहत्य १०/१८० मुनिमानम्य तं ५/२२३ / मूर्छाव्यपगमे कुन्ती ८/४७३ | यः कश्चिदस्त्रैः ९/१९६ मुनिमेकैकशो १३/२७६ | मूर्छाव्यपगमं १/३७० | यः कृष्णे मुष्णति २/२७८ मुनिरप्यभ्यधाद्भद्र १८/८७ मूर्तं धर्ममिव ५/२१५ | यः सर्वकमनी- १/१८९ मुनिराकृष्य १५/२१ मूर्तिमद्भिरिवाथ- १०/२३५ / यक्षो वा ७/४३४ मुनिरूचे ६/६०८ १३/९७७ यच्चापकर्षणे १३/८१४ मुनिज्ञानी ममा- ६/८२५ मूनि कर्ण १३/६४० यच्चाहं ६/५२३ मुनिर्यत्रास्ति १५/४ मूलादुन्मूलनं ६/५२२ यच्छन्प्राणान- १/४८८ मुनिवन्दारुगी- १५/५ मृगनेत्राः प्रियाः १/५८७ यच्छुजन्मलग्न- १/४३० मुनीन्द्र! १३/२०६ मृगव्यव्यसनी १/७७ यज्जातोऽसि ७/२७४ मुनीन्द्र ! ९/१७७ मृगाङ्गमिव ११/२५२ यत सा रसव- ६/७७६ मुनीन्द्रः सोऽथ १८/८ मृगारिकरजा ४/८४ | यतः पञ्चशतान्यस्मिन् ६/५८९ मुनीन्द्रैरपि ८/५०० मृणालकन्दली- .२/२७७ यतः प्रभृति ७/६४० मुनीन्द्रोऽपि यथा- ४/४६९ | मृणालवलयै- १/५०३ यतः सौधर्म ९/३४६ मनेगिरमिमां ४/४६७ मृतमारणदौरा- १३/३७२ यतो द्वेधाऽप्यसौ ११/२८० मुनेर्दर्शनमात्रेण ७/३८५ | मृते च मयि ६/२२२ यतोऽमुष्यां ७/४९५ मुमूर्च्छ क्षण- १३/८०६ | मृतोऽयमिति १७/२६७ यत्कुमारः १२/२१ मुमूर्छाथ १३/८४४ मृत्यवे कीचको १०/११० यत्कृते पितरं ११/२२५ मुरारातिरथाकृष्य १३/९४६ | | मृत्युतो बिभ्य- २/१७१ | यत्खड्गदण्डे ४/२२१ मुरारातेरथादेशा- १२/२६८ | मृत्युना सह १३/९०३ / यत्तिर्यग्भिरनु १३/२४४ मुरारे: पुनरादेशा- ११/३८१ | मृत्युभीतिमथा- ६/८५३ यत्तु दुश्चरितं ७/५२ मुरारेः प्रति- १४/१९० ११/१९५ | | यत्तु दूरमनाख्ये- १३/१०४० मुष्टिना ७/६६२ । मृत्युमेभिरभिज्ञा- २/४१३ | यत्तु व्याकुरुषे ६/१४७ मूर्धानौ मृत्युमूलं

Loading...

Page Navigation
1 ... 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862