Book Title: Pandav Charitra Mahakavyam
Author(s): Devprabhsuri, Shreyansprabhsuri
Publisher: Smrutimandir Prakashanam
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परिशिष्टः [ १ ] पाण्डवचरित्रमहाकाव्यगतगाथानामकाराद्यनुक्रमः ॥ ]
ततो जानीहि
ततो जीवधनं
ततो ज्ञातेयदाक्षिण्या - १० / १२६
ततो दक्षिणतो
१४ / ६९
ततो दत्तजल
ततो दधन्ति
ततो दावाग्नि
ततो दिङ्मुख
ततो दुःशासनो
ततो दुर्वार
ततो दुहितरं ततो दौर्योधनं
ततो द्रोणाभ्य
ततो द्वादशयामेन
ततो द्वारवती
ततो धनुः ततो धर्मविरुद्धेऽत्र
ततो धर्मात्मज
८ / ११५ | ततो मुशलधाराभिः ५/२० ततो मृत्यु -
ततो मेदस्वि
ततो म्लानमुखा
ततो यादव
ततो नः ततो नः सरितां
ततो निदेशमासाद्य
ततो निलीयमानानि
ततो निसर्गविज्ञात
६ / ६४६
४/४१९
१८ / ६३
१३ / ९४९
६ / ९५३
ततो राज्याभिषेकाय
ततो राममुनि
ततो रिपुमपाकर्तुं
ततो रूक्षरटद्ध्वा -
ततो रैवतकोत्तंसे
ततो लोचनयोः
ततो वः कोऽपि
ततो विचित्रवीर्यस्य
ततो विद्धोऽस्मि
ततो विमानमारुह्य
ततो विलोकया
ततो विवेश
ततो विश्वंभराभर्ता ततो विश्वप्रभुर्घातं ततो विषस्व
ततो विसृज्य तं
ततो विस्त्रस्तधम्मिल्ल:
ततो वीक्ष्य
ततो वैजयिकीं
ततो वैरिवरूथि
ततो व्यज्ञपय
ततो व्यात्तमुखततो हठान्निदेश्यै
ततो हृदि स्थिते
ततोविदन्निदं
१३/६२१ | ततोऽक्षवाटमृक्षे
१४ / २०३ | ततोऽङ्गाधार६/५८४ | ततोऽङ्गान्भक्ति
ततोऽनवद्य
३ / ९८ ततोऽनुग्रह
१ / १९
१ / २२३
१० / ३८७
३/४३०
१३ / ५७२
२/४७३
५ / २२
१ / ९९
७/६४५
६/५४४ | १७ / १०७
१० / २०४ ६/५९
१० / ११
२ / ४६४
६/७९७
७/२०
१८ / १४३
|
ततो नैमित्तिकाततो बिल्वकरण्डौ
ततो भयार्त
ततो भीममुनिततो भीमार्जुनावेव
भू
ततो मदीयमादाय १७ / १७२
ततो मद्रेन्द्रमाहूय ततो मनसि
ततो मा भैष्ट
ततो मुक्त्वा ततो मुदितयो
३/१९३
६/४९६
१६ / २६३
६/५५० | ततोऽन्तर्मातृकाततोऽन्वितः
६ / ६१६
ततोऽपश्यद
३/२८
२/११३ | ततोऽपश्यदपेतासुं १४ / ११८ ततोऽपृच्छन्न१४ / २६७
ततोऽप्य ( भ्य ) धत्त
ततोऽब्रवीन्मुराराति: ततोऽभाषिष्ट
ततोऽभ्यधत्त
९/३६८ १६ / ३०३
ततोऽभ्यधायि
३/३७५
१/२९२
ततोऽभ्यर्णीभवततोऽभ्यर्णे तमायातं ततोऽभ्येत्याभ्य
१ / ३३१
१७/३४४
ततोऽमी किं द्विषो
५ / १९५
ततोऽमी खेचरा
ततोऽम्बां
८/४९ ३/३८७ ततोऽवतीर्य ५/३०६
१६ / ३१२ २ / ७१
५/३६७
५ / २६२
१८ / २०१
५ / २३५
३/३७७ १३/३९
ततोऽवलेपं कोपं ततोऽवादीच्छिवाततोऽवादीदजाता
५ / २७५ १० / २०१
१८/२००
ततोऽसौ यावद
ततोऽसौ विस्मय
ततोऽस्तु वां
ततोऽस्माकमनावेद्य
१४ / १९
२ / ६४ ९ / ३१९ ततोऽस्मिन्नुल्ल९/१७ ततोऽस्मिन्सरसि
३/३७४ ततोऽस्मै
ततोऽस्माच्छकुनेततोऽस्मिन्नभ्य
ततोऽहं कुरुभूपालततोऽहं तां
ततोऽहमिममादेश६/२७ | ततोऽहमुपहाराय
५/ १२६
तत् झगित्युत्सृज
७ / १३१
तत्कथं सर्वसंहार
[ ७५५
१६ / १९४
१६/१२
६/४४१
१८/३०
६/२९८
१४/११
१७ / १०६
१८ / १६०
१०/८८
१२/२९२
२/ ३८१
१० / २३९
१७ / १०१
१०/३५१
१३/२१५
७/२२१
५/१५९
३/१७६
१६/१६
८/४१८
१८/८५
१ / ११२
१७/३०५ ११ / २६४
८/११७
१२/१९
१८ / २३८
१७/६७
६/५४६
११/२६६
१७/१५७
८/५२८
७ / ४६३
१३/८३८ ६/१००७

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