Book Title: Pandav Charitra Mahakavyam
Author(s): Devprabhsuri, Shreyansprabhsuri
Publisher: Smrutimandir Prakashanam
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७६६]
[पाण्डवचरित्रमहाकाव्यम् ॥ त्वादृशानपि १३/८१२ | दधिपर्णोपरोधेन ६/८२३ | दशाहरुग्रसेनाद्यै- १६/३४६ त्वामद्य हरता १३/११०२ | दधिपर्णोऽपि ६/८३६ | दस्युनाशादि- ६/६०५ त्वामहत्वा
१३/६८४ दधिरे चामरा
६/१०६ | दाधिकैरथ सार्पिष्कैः ५/४१ [द] दधौ सप्तमहा- २/१७८ | दानं शीलं
१५/४८ दंष्ट्राकरालमुत्फाल- ७/३४८ दध्मौ तत्रार्जुनः १३/३९५ दानमातन्यते १५/६० दक्षः शिक्षामिमां ८/४६४ दध्यौ च किं १०/९८ | दानमौचित्यविज्ञानं ७/६९ दक्षिणास्या दिशः १०/२४३ | | दध्यौ च बद्ध
४/३४०
दानेन क्षमया १५/३७ दक्षौ शिबिररक्षायै १३/९४७ | दध्यौ नृपोऽभ्य- १/१७१ | दापयामास १२/३२६ दग्धकर्पूरधूमोत्थन- ५/५०३ | | दध्वने मधुर- १२/११६ | दामोदर ! १४/३१६ दग्धौ हन्त १७/३४७ | दध्वान दुन्दुभिर्बाद ५/४३३ | दायादहृत
५/११४ दण्डोऽयं पुण्डरी- १/४९ दन्तक्षोदैः १२/२१८ | दायादा अपि १३/२८ दत्तं दन्तावल- १/५६२ दन्तघातानिव तदा ८/२४८ | | दारको तव १२/१३ दत्तझम्पान्द्रुमा- ६/४६० दन्ताघातकराघात- ११/३८२ | दाराणामनुरूपाणां १/२६७ दत्तसादृशोरेव ८/४६६ दन्तान्दन्तावले- १३/६३७ | दारिद्रस्यैव
१/१४ दत्तहस्तावलम्बस्तं ४/६९ दन्तारूढोऽव- १३/४८४ | दारुकस्येति
१७/११६ दत्ता तद्भङ्ग- १६/१८८ दन्तावलघटा- १४/५० दावपावकवत्सर्वे १२/३१२ दत्ता प्रभावती ५/१०९ दन्तिदन्तप्रहारो- १३/५८६ दावानले ११/३७३ दत्ताश्मगर्भकाकूत- १०/४७१ दन्तिनामनिलोद्भूता १३/६२ दिक्कुक्षिभरिभिः ६/५७ दत्ते लक्ष्यमसौ ४/२४३ दन्तिनो दन्त
| दिक्कुञ्जक्रोड- १०/४६३ दत्ते स्म हास्तिका- १०/४७८ दन्तेषु खड्ग- १३/४४५ | दिक्कूलंकष- १३/४६ दत्तेऽपि
१३/४८२ | दम्पत्योरनयोर्देवि ६/७१० | दिगन्तसम्पदः ६/१३२ दत्तेऽवश्यं न १/१७३ दम्भोलिनेव १४/२०८ | दिगुद्भतारुणोद्भेदा ४/१३६ दत्तोन्मादपिकीनादे १२/२५५ | दया प्राणिषु ७/३९३ | दिग्जिगीषाकृतोन्मेषं ६/९ दत्त्वा नेमिकुमारो- १६/२९४ दयां मयि तदाधाय ५/१२० | दिग्निकुञ्जेषु
६/२२ दत्त्वा पत्युश्च १२/३२ दयालव इव १३/३४१ दिग्मण्डली- १३/३१६ दत्त्वा शौरिः १/४१७ दयितादशनौपम्य १/५९० | दिदीपे नितरां १३/६१० ददर्श दर्शनोन्- ५/२०१ | दरिद्रपान्थ- ७/३८९ | दिदृक्षयेव पार्थस्य ३/३९२ ददुः सर्वस्वमप्येते ८/३७८ | दर्पादिष्वासमादातुं ४/२६३ | दिदेव सहदेवो- १४/९२
दुस्तरून्समारुह्य ८/४३६ | दर्भसूचिव्य- ६/५३४ | दिनानर्धनचतुर्थाश्च २/४७१ ददौ च हरि- ६/७५७ दर्शयध्वमुपाध्यायं ३/२४५ | दिनान्ते हरि- १२/२५६ ददौ सोऽपि १६/१४७ दर्शयन्भगदत्तोऽथ १३/३३५ | दिने गुरुसमादिष्टे ३/३५१ दधत्यात
७/४३९ दलितारातिना १६/५ | दिनेन्दुदिननाथ- ३/१८३ दधत्यासीदकर्णैव ११/३२४ | दशमस्य दशार्हस्य १७/२५४ | दिनैः कतिपयैरेव ८1८३ दधार रत्नकेयूरे ४/३ दशाप्येत्य ११/१२ | दिनैः सार्धमवर्धन्त १६/८७ दधिपर्णमथाहूय ६/८२७ | दशार्हा दशदि- २/३२३ | दिवसे तु स २/२७१

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