Book Title: Pandav Charitra Mahakavyam
Author(s): Devprabhsuri, Shreyansprabhsuri
Publisher: Smrutimandir Prakashanam
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परिशिष्टः [१] पाण्डवचरित्रमहाकाव्यगतगाथानामकाराद्यनुक्रमः ॥]
[७६७ दिवा वा यदि ३/१५६ | दुःखैकान्तमयं __ १८/१४ | दुर्योधनोऽप्यभाषिष्ट ६/८९९ दिवि कर्णस्य १३/५९१ दुःशासनवधा- १३/६१३ | दुर्योधनोऽभ्य- ६/१६५ दिवि दिव्याब्ज- ८/४३१ | दुःशासनो- १३/९ | दुर्योधनोऽभ्य- ६/२०७ दिव्यमूर्तिधरः ८/५०६ | दुःसहाः पुष्प- १/३३७ | दुर्वाक्यादपकाराद्वा । १५/९४ दिव्यया रसवत्याऽथ ९/१५९ | दुकूलकोमलैः ८/२७ | दुविनीत ! २/२८१ दिव्यशस्त्रौघ- १४/५८ | दुकूलानि समं १०/४०९ / दुष्टनिग्रहनिःशूक- १/३९० दिव्येऽन्यस्मिसत्तो १०/२०३ | दुकूले कलयामास ४/३८ | दुष्टस्य यस्य ७/६०० दिव्यैः कौशेयवासो- ६/९२ | दुन्दुभिध्वनिभि- ४/७२ दुष्टात्मनांशुके कृष्टे ६/९९१ दिशः काञ्चनकान्ता- ४/३२१ | दुरात्मन्कि भवत्कर्म ६/९६५ / दुष्प्रापं दर्शनं ८/३६१ दिश: शरद
५/१३ दुर्गेहिनी व ११/२७१ | दुस्तपं ते १७/२७० दिशां नाथा इव १/४२६ | दुर्जनः कालकूटश्च ८/२२८ | दूतत्वाच्च
११/८१ दिशो हि दर्शना- १०/४६६ | दुर्जनैकधुरीणाय ६/९४४ | दूतवाक्यमिति दिष्टादृष्टं निमित्तेन २/१२५ | दुर्दमं दम्यमानं ___२/३५० | दूतोऽपि वाग्निकारं
२/३५० |
५/१७९ दिष्ट्या ते फलितो ८/५०७ दुर्धर्षोऽत्यन्त- ३/१०७ दूतोऽभ्येत्य १४/१० दिष्ट्या स्वं वर्धसे ५/२५४ दुर्थीदुर्योधनो १३/७५२ दूत्येन गतवानेता- १४/१३६ दिष्ट्या त्वं वर्धसे ५/२८ दुर्नयध्वस्तधर्मस्य ११/१७५ | दूयते किं च १/१९७ दिष्ट्या दृष्टिमितो ८/३३९ | दुनिमित्तैस्तमी ७/१९१ दूरतो दधिपणेन ६/४६३ दिष्ट्या मे
७/६२३ दुर्मर्षणः सुगात्रश्च ३/११९ | दूरतो भव रे ५/३३१ दिष्ट्याऽद्या६/५३०
१३/८७८ दूरन्तयाऽनया १/५०० दीक्षाप्रपन्नमन्ये- १५/१ | दुर्योधन इत्याद्यस्य ३/४५ | दूरमुज्जागरौ- ३/१० दीनवक्त्रा भुवि १०/११८ दुर्योधनं पुन- ६/११५ दूरात्पाञ्चालसुतया ९/२ दीनानां ते १८/१०६ दुर्योधनकवीन्द्रेण ७/४७ दूरात्प्रणमतो ७/६१२ दीनानाथ७/२०३ दुर्योधननरेन्द्रस्य ७/४८ दूरादधिगृह
७/५४८ दीनानाथकृते
६/६७४ दुर्योधनमथोवाच १३/२५४ | दूरादालोक्य १८/१५१ दीपयेत्प्रत्युत
११/८९ | दुर्योधनयशश्चन्द्र- १०/३९० | दूरादालोक्य ९/३२१ दीप्तसप्तार्चिषः १३/५५९ | दुर्योधनव- ___७/२४ | दूरादुर्वीपतिर्भीम १०/४४ दीप्रस्यापि ११/१२२ | दुर्योधनवध- १४/१/ दूरापास्तकिरीटेषु । ६/१७५ दीयते स्म १३/१०२९ | दुर्योधनस्य ३/१४९ / दूरीकृतजनैर्नागा १२/२२० दीर्घबाहुर्महावक्षा ३/१२९ दुर्योधनस्य
७/१३ | दूरेऽन्यभूभुजो १६/४५ दीर्घाध्वपथिकी ७/२२ दुर्योधनस्य ७/५१० दूरेऽहमर्जुनस्यापि १२/२८८ दीव्यन्तं
१३/८६४ | दुर्योधनस्य ९/११ | दूरोन्नतामपि ६/१२३ दुः साधव्याध
१/८४ दुर्योधनस्य गदया ९/२८७ | दूर्वादिमङ्गलेषि- १२/४७६ दुःखस्फुटितहृन्म- ६/९३२ | | दुर्योधनस्वसा १३/१०९० दृक्सुधादीर्धि- १६/१८४ दुःखादधोमुखीमुच्चै ९/७६ | दुर्योधने च भीमे ३/३७२ | दृढं कवचितास्ते ८/३०७ दुःखादभ्येत्य ६/३६३ | दुर्योधनो रह: ३/१८९| दृढं चण्डातको
२/३८०

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