________________
पाँचवाँ परिच्छेद
१०३
दिन राजा सुमुख और उनकी उस रानीकी दृष्टि उसपर जा पड़ी। इससे वे दोनों संवेगको प्राप्त हुए। इतनेहीमें अचानक बिजली गिरनेसे उन दोनोंकी मृत्यु हो गयी । मृत्युके बाद वे दोनों हरिवर्ष क्षेत्रमें जोड़ बच्चोंके रूपमें उत्पन्न हुए और एक दूसरेके भाई बहन कहलाये ।
उधर वीर भी अज्ञानतापूर्वक कष्ट सहन कर सौधम देवलोक में किल्वि देव हुआ । पूर्व जन्मके वैरसे वह उन दोनोंका हरणकर चम्पा नगरीमें ले गया । वहॉपर राजा चन्द्रकीर्तिकी मृत्यु हो गयी थी । उसके कोई उत्तराधिकारी न था, इसलिये उसने उन दोनोंको उसका राज्य दे दिया। साथ ही उसने अपनी देवशक्तिसे उनकी आयु घटा दी, उनके शीररं पाँच सौ धनुष परिमाण बना दिये, उनके नाम हरि और हरिणी रख दिये और उन्हें मद्यमांसादिक भक्षण करना सिखा दिया। इतना करनेके बाद वह किल्विष देव अपने वासस्थानको चला गया । कालान्तर में उन्हीं दोनोंसे हरिवंशकी उत्पत्ति हुई ।
सौवीर देशमें यमुना नदीके तटपर मथुरा नामक एक नगरी थी । वहाँपर किसी समय हरिवंश कुलोद्भव