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नेमिनाथ चरित्र ____ चारुदत्तके मुखसे गन्धर्वसेनाका यह वृत्तान्त सुनकर वसुदेवको बड़ाही आनन्द हुआ और वे पहले की अपेक्षा अव उससे अधिक प्रेम करने लगे। ____एक दिन चैत मासमें वसुदेव और गन्धर्वसेना रथमें बैठकर उद्यानकी सैर करने जा रहे थे। उस समय मार्गमें उन्हें मातंग लोगोंका एक दल मिला । उनके साथ परम रूपवती एक मातंग कन्या भी थी। उसकी और वसुदेवकी चार ऑख होतेही दोनोंके मनमें कुछ चिकार उत्पन्न हो गया। चतुर गन्धर्वसेनासे यह वात छिपी न रह सकी। उसने सारथीको शीघ्रतापूर्वक रथ हॉकनेकी आज्ञा दी, फलतः रथ आगे बढ़ गया और वह मामला जहॉका तहाँ रह गया । वसुदेव और गन्धर्वसेना उपवनमें पहुंचे और वहाँ जलक्रीड़ादिक कर वे दोनों चम्पापुरी लौट आये। • घर आने पर एक वृद्धा मातङ्गिनी वसुदेवके पास आयी और उन्हें आशीष दे, उनके पास बैठ गयी। उसने कहा-"वसुदेव कुमार ! मैं तुम्हें एक लम्बी और बहुत. पुरानी कहानी सुनाने आयी हूँ, वह सुनिये। पूर्वकालमें,