Book Title: Neminath Charitra
Author(s): Kashinath Jain
Publisher: Kashinath Jain Calcutta

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Page 410
________________ नेमिनाथ चरित्र भगवानने कहा :- "ऐसा दिन तो मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशीका ही है। उस दिन तीर्थकरोंके डेढ़ सौ - कल्याणक हुए हैं । पूर्वकालमें भी सुव्रत श्रेष्ठी आदिने इसकी आराधना की है ।" -८१८ veda कृष्णने पुनः पूछा :- "हे जिनेन्द्र ! सुव्रत श्रेष्ठी कौन था ?" भगवान ने इस प्रश्न के उत्तर में सुव्रत श्रेष्ठीका समस्त वृत्तान्त कृष्णको कह सुनाया, जिसे सुनकर उन्हें अत्यन्त आश्चर्य हुआ। इसके बाद कृष्णने एकादशीके तपकी विधि पूछी, जिसके उत्तर में भगवानने मौन सहित गुण दि विधका वर्णन कह सुनाया। सुनकर कृष्णको परम सन्तोष हुआ और उस समयसे वे प्रतिवर्ष अपनी प्रजाके साथ मौन एकादशीके महापर्वकी आराधना करने लगे ।" · कृष्णकी एक रानीका नाम ढंढणा था, जिसके उदरसे ढंढण नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था । युवावस्था -आप्त होनेपर ढढणने अनेक राजकुमारियोंके साथ विवाह किया । एक बार भगवानका धर्मोपदेश सुनकर उसे वैराग्य आ गया। इससे कृष्णने उसका दीक्षा महोत्सव 1

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