Book Title: Neminath Charitra
Author(s): Kashinath Jain
Publisher: Kashinath Jain Calcutta

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Page 422
________________ NNN बोसा परिच्छेद निकालनेकी चेष्टा करने लगे। यह देख, द्वैपायनने प्रकट होकर उनसे कहा :-"अहो ! आप लोग मोहमें कितने फंसे हुए हो ! मैंने पहलेसे ही कह दिया था कि तुम दोनोंको छोड़कर और कोई जीता न बच सकेगा। फिर यह व्यर्थ चेष्टा क्यों कर रहे हो ?" ___ उसकी यह बातें सुनकर वसुदेव और देवकी आदिने जीवनकी आशा छोड़कर, कृष्ण तथा बलरामसे कहा :"हे वत्स ! तुम दोनों अब हमें यही छोड़कर कहीं अन्यत्र चले जाओ और जैसे भी हो, अपनी प्राणरक्षा करो। तुम दोनोंके जीवन समस्त यादवोंके जीवनकी अपेक्षा अधिक मूल्यवान हैं। तुमने हमारे प्राण बचानेके लिये यथेष्ट चेष्टा की, किन्तु भावीको कौन टाल सकता है ? इसे हमलोगोंका दुर्भाग्य ही कहना चाहिये, जो हमलोगोंने नेमिभगवानके निकट दीक्षा न ले ली। तुम लोग खुशीसे जाओ, हमलोग अब अपने कर्मका फल यहींपर भोग करेंगे। ____ मातापिताके यह वचन सुनकर कृष्ण और बलरामका शोकसागर और भी उमड़ पड़ा। वे वहीं खड़े होकर

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