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छठा परिच्छेद
१३३ कर दिया। वसुदेव अब वहींपर आनन्दपूर्वक अपने दिन व्यतीत करने लगे।
वसुदेवकी यह पत्नी वीणा बजानेमें बहुतही निपुण थी। एक दिन उसकी इस कलासे प्रसन्न हो वसुदेवने उसे वर मांगनेको कहा । इसपर श्यामाने कहा:-"यदि आप वास्तवमें प्रसन्न हैं और मुझे मनवाँछित वर देना चाहते हैं, तो मुझे ऐसा वर दीजिये कि आपका और मेरा कभी वियोग न हो।"
वसुदेवने कहा :-"तथास्तु-ऐसा ही होगा, किन्तु हे सुन्दरी ! यह तो बताओ कि तुमने क्या सोचकर यह वर माँगा है ? तुम इससे अच्छा कोई और वर भी मांग सकती थी।"
श्यामाने कहा :-"नाथ ! अवश्य ही यह वर मांगनेका एक खास कारण है। वह मैं आपको बतलाती हूँ, सुनिये। अचिमाली नामक एक राजा था। उसके ज्वलनवेग और अशनिवेग नामक दो पुत्र थे। ज्वलन'वेगको अपना राज्यभार सौंपकर अर्चिमालीने दीक्षा ले ली। कुछ दिनोंके वाद ज्वलनवेगकी विमला नामक