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नेमिनाथ-चरित्र
एक दिन अवकाशके समय चारुदत्तने वसुदेवसे कहा,-'हे वत्स ! मैंने तुमसे व्याहके समय कहा था कि गन्धर्वसेनाके प्रकृत कुलका परिचय मैं तुम्हें फिर किसी समय दूंगा।" आज तुम्हें वह वृत्तान्त सुनाता हूं, ध्यान देकर सुनो :--- ___एक समय इसी नगरीमें भानु नामक एक बड़ाही धनवान व्यापारीरहता था। उसके सुभद्रा नामक एक स्त्री भी थी, किन्तु सन्तान न होनेके कारण वे दोनों बहुत दुःखित रहते थे। एकबार उन्होंने एक चारण मुनिसे पूछा कि हे महाराज ! क्या हम भी कभी पुत्रका मुख देखकर अपनेको धन्य समझेंगे ? मुनिराजने कहा,"हॉ, तुम्हारे पुत्र अवश्य होगा, किन्तु अभी कुछ समय की देरी है।" मुनिराजके इन वचनोंसे उन्हें आशा वध गयी। कुछ दिनोंके बाद वास्तवमें उनके एक पुत्र उत्पन्न हुआ। इससे उन दोनोंके जीवनमें एक नयाही आनन्द आगया। __ एकदिन मैं सिन्धु नदीके तटपर घूमने गया था। वहाँपर किसी आकाशगामी पुरुषके सुन्दर चरण-चिन्ह