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५. सम्यक व मिथ्या ज्ञान
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१०. वस्तु पढने का उपाय
तक 'ख' नाम गुण की है नं. ११ से १५ तक 'ग' तक नाम गुण की है न. १६ से २० तक 'घ' नाम गुण की है न. २१ से २५ तक 'च' नाम गुण की है और और न. २६ से ३० तक 'छ' नाम गुण की है । इस प्रकार वस्तु की कुल पर्यायें ५-६ ३० तीस हो जाती है । जैसा कि पलि बताया जा चुका है कि पर्यायो से रहित गुण कुछ नही और गुणों से रहित वस्तु कुछ नही इन ३० पर्यायों का समूह ही वस्तु है । वस्तु को ३० भागों मे खण्डित करना ही वस्तु का विश्लेषण करना है ।
अब यह देखना है कि इस वस्तु का कथन क्या इस प्रकार करने मे कोई भी शब्द समर्थ है कि एक ही शब्द ३० की ३० इन ६ जाति की पृथक पृथक पर्यायो का निरूपण कर सके ? नहीं भी और है भी । नये श्रोता के लिये तो नही, पर परिचित श्रोता के लिये उस वस्तु का नाम मात्र कहना ही सर्व ३० की ३० पर्यायो से समवेत वस्तु का ठीक ठीक प्रतिनिधित्व करने को पर्याप्त है । जिस प्रकार कि 'अग्नि' ऐसा एक ही शब्द आपके लिये अग्नि की सम्पूर्ण शक्तियो ( Qualification ) से युक्त अग्नि नाम के पदार्थ का प्रतिनिधित्व करने को पर्यात है । कारण कि अग्नि का चित्रण आपके हृदय पट पर स्पष्ट है । परन्तु 'आत्मा' का स्पष्ट चित्रण आपके हृदय पट पर नही है । तब कैसे 'आत्मा' नाम का एक शब्द पूर्ण रूपेण आपके लिये आत्मा पदार्थ का प्रतिनिधित्व कर सकेगा ? और यदि पहिले सुने हुए और सीखे हुए 'आत्मा' नाम शब्द के चित्रण के आधार पर अब भी आप उसका नाम मात्र सुनकर तृप्त हो जाये, तो भी आपके हृदय पट पर उसका स्पष्ट चित्रण तो बन पायेगा । उसके लिये तो मुझे आपको इस आत्मा नाम पदार्थ का पृथक पृथक विस्तृत निरुपण करना पड़ेगा, बिल्कुल उसी प्रकार जिस प्रकार कि उस अमेरिका के फल का प्रतिपादन करने के शिये करना पड़ा था । और यह काम एक शब्द के द्वारा होना असंभव है । एक एक पर्याय का पृथक पृथक विस्तृत निरुपण करने के लिये लम्बे लम्बे कथन क्रम की आवश्यकता पड़ेगी । पृथक पृथक अनेको दृष्टान्तों द्वारा उसका भाव चित्रित करने की आवश्यकता पड़ेगी । ओर इसलिये सभवत. महीनों तक मैं इन सारी ३० की ३० पर्यायो का प्रतिपादन समाप्त कर पाऊँ ।