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२१. अन्य अनेको नय
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१ नयो असख्याते भेद
६. नैगम, संग्रह, व्यवहार, ऋज्युसूत्र, शब्द, समभिरूढ और एव भूत के भेद से नय के सात भेद होते है । यह मान्यता श्वेताम्वर व दिगम्बर दोनो को मान्य है।
त स् ।६।३३ 'नैगम संग्रह व्यवहार सूत्र शब्द समभिरूदैव
भूता नया ।३३।
अर्थ –नैगम, सग्रह, व्यवहार, ऋज्यू सूत्र, शब्द, समभिरूढ और
एवभूत इस प्रकार यह सात नय है ।
स्थानागसूत्र ।४६६। “साकितेणए ? सत्तमूलणया पणत्ता । त
__ जहा णेगमे संगहे ववहारे उज्जुसुए सद्दे समभिरूढे . एवंभूए।"
अर्थ---वे नय कौनसे है। सात मूल नय बताए गये है। यथा
नेगम, सग्रह, व्यवहार, ऋजूसूत्र, शब्द, समभिरूढ और एवभूत।
(भगवती सूत्र ।४६६)
७. इसी प्रकार तत्वार्थाधिगम भाष्य १।३४,३५ में नैगम, सग्रह, व्यवहार, ऋजुसूत्र, तथा साप्रत, समभिरूढ और एवंभूत ये शब्द के तीन विभाग करने से नयों के आठ भेद होते है ।
८. द्रव्यानुयोगतर्कणा।८।११ मे नैगम संग्रह आदि सात प्रसिद्ध नयो मे द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक नय मिला देने से नयों की संख्या, नौ हो जाती है। इन नयों के मानने वाले आचार्यो का खण्डन द्रव्यानुयोग तर्कणा मे मिलता है ।