Book Title: Nay Darpan
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Premkumari Smarak Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 759
________________ ७२८ २१ अन्य अनेको नय २ सर्व नयो का मूल नयो मे अन्तर्भाव साधित अवस्था मे नही रहा हुआ, लक्ष्यन्मुख तथा अलक्ष्योन्मुख ऐसे पहिले वाले तीर की भाति ।” पूर्ववत् ही यह लक्षण भी आगम पद्धति के 'सामान्य द्रव्यार्थिक अथवा नैगम' नयो मे तथा अध्यात्म पद्धति के 'सामान्य निश्चय, नय मे गर्भित होता है। ६ आस्तित्व नास्तित्व अवक्तव्य नय - ''आत्मद्रव्य अस्तित्व नास्तित्व अवक्तव्य नय की अपेक्षा क्रमश स्वद्रव्य क्षेत्र काल भाव से, पर द्रव्य क्षेत्र काल भाव से तथा युगपत स्वपर द्रव्यक्षेत्र काल भाव से अस्तित्ववाला नास्तित्ववाला अवक्तव्य है-(स्वचतुष्टय से) लोह मई, डोरी व कमान के बीच मे रखे हुए, साधित अवस्था मे रहे हुए, तथा लक्ष्योन्मुख ऐसे, (और पर चतुष्टय से) अलोह मई, डोरी व कमान के बीच मे नही रखे हुए, साधित अवस्था मे नही रहे हुए तथा अलक्ष्योन्मुख ऐसे , (और युगपत स्वपर चतुष्टय से) लोह मई तथा अलोह मई, डोरी व कमान के बीच मे रखे हूए तथा डोरी व कमान के बीच मे नही रखे हुए, साधित अवस्था मे रहे हूए तथा साधित अवस्था मे नही रहे हुए, लक्ष्योन्मुख तथा अलक्ष्योन्मुख ऐसे पहिले वाले तीर की भाति । "पूर्व नय न० ७ वत ही यह लक्षण भी आगम मे पद्धति के 'सामान्य द्रव्यार्थिक अथवा नैगम' नयो मे तथा अध्यात्म पद्धति क सामान्य निश्चय' नय मे गर्भित होता है । १०. विकल्प नय ''आत्मद्रव्य विकल्प नय से बालक कुमार और वृद्ध ऐसे एक पुरुष की भाति सविकल्प है।" अभेद द्रव्य मे द्वैत उत्पन्न करने के कारण यह लक्षण आगम पद्धति के 'भेद सापेक्ष अशुद्ध द्रव्यार्थिक व व्यवहार' नय मे तथा अध्यात्म पद्धति के सद्भ त व्हवहार नय मे गर्भित होता है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806