Book Title: Nay Darpan
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Premkumari Smarak Jain Granthmala

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Page 796
________________ २२ निक्षेप .७६३ ७. भाय निक्षेप - करते हुए साम्य भाव में स्थित व्यक्ति सामायिक रूप से परिणत कहलाता है। अब इन्ही लक्षणों की पुष्टि व अभ्यास के लिये कुछ आगम कथित उद्धरण देखिये। भाव निक्षेप सामान्यः१. स. सि ।१।५।४६ “वर्तमान पर्याययोपलक्षितं द्रव्यं भावः।" अर्थः--वर्तमान पर्याय से युक्त द्रव्य को भाव कहते है । २ रा वा.।११५१८।२६ "वर्तमानतत्पर्यायो पलक्षितं द्रव्यं भावः ।। यथा इन्द्रनामकर्मोदयापादितेन्दन क्रियापर्यायपरिणत आत्मा भावेन्द्र ः।" अर्थः--वर्तमान उस द्रव्य पर्याय से विशिष्ट द्रव्य को भाव जीव कहते है । जैसे इन्द्र नाम कर्म के उदय से होने वाली इन्दन या ऐश्वर्य भोग क्रिया से परिणत आत्मा को इन्द्र कहना। (स सा।१३। प्रा कलश ८ की टीका) (प्र सा । त प्र । परि०। नय न० १३) (वृ न च । २७६) (त सा । १। १३ । १२) (गो क । मू । ६५) ३. ध ।पु १।पृ २६।२० 'वर्तमान पर्याय से युक्त द्रव्य को भाव कहते है । वह आगम भाव मगल और नोआगम भाव मगल के भेद से दो प्रकार का है।" २. आगम भाव निक्षेप१ ध पु पापृ.२६।२१ ''आगम सिद्धान्त को कहते है । इसलिये जो मगल विषयक शास्त्र का ज्ञाता होते हुए वर्तमान में

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