Book Title: Nay Darpan
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Premkumari Smarak Jain Granthmala

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Page 805
________________ २२. निक्षेप ७७२ 8. निक्षेपो का नयो में अन्तर्भाव - नं. निक्षेप नय अन्तर्भाव मे हेतु नाम | द्रव्यार्थिक वाच्यवाचक सम्बन्ध को सार्वकालिक नैगम, संग्रह व र निश्चय के विना शब्द व्यवहार व्यवहार कथ-|| असम्भव है। ञ्चित पर्यायार्थिक (नाम या शब्द के विना पर्याय का कथन नही किया जा सकता, अर्थात द्रव्य पर्याय का वाचक शब्द भी पर्यायार्थिक है। २.स्थापना द्रव्यार्थिक । द्रव्व का परिचय देने के कारण, नैगम, संग्रह व | अथवा जिसकी स्थापना की जाये व्यवहार | और जिस पदार्थ मे की जाये, ऐसे दोनो पदार्थो मे आधार आधेय भाव रूप द्वैत के कारण। ३. द्रव्य । द्रव्यार्थिक त्रिकाली द्रव्य का आश्रय होने पर नैगम, सग्रह व रही भूत व भावि को वर्तमान मे व्यवहार कथ- | निक्षिप्त किया जा सकता है। ञ्चित पर्यायार्थिक ( ऋज् सूत्र के विषय भूत द्रव्य पर्याय रको कथञ्चित द्रव्य स्वीकार किया [ गया है। भाव | पर्यायार्थिक वर्तमान पर्याय से उपलक्षित द्रव्य को विषय करता है। द्रव्यार्थिक वर्तमान पर्याय से युक्त द्रव्य को कथ | ञ्चित द्रव्य स्वीकार किया गया है। - समाप्त

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