Book Title: Nay Darpan
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Premkumari Smarak Jain Granthmala

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Page 784
________________ २२. निक्षेप - • ७५९ ६. द्रव्य निक्षेप २२. को वर्तमान मे ही उस गुण वाला कह देना द्रव्य निक्षेप है, जैसे पहले कोई डाक्टर था और अंब डाक्टरी का काम छोड़कर कपड़े की दुकान करता है, तो भी बराबर हम उसे डाक्टर साहब ही कहते रहते हैं, या कोई लडका अभी डाक्टर बना तो नही है पर आगे बन जाएगा क्योंकि वह डाक्टरी पढ़ रहा है, तब भी उस लडके को हम कदाचित डाक्टर साहब कह देते है । . स्थापना निक्षेप और द्रव्य निक्षेप दोनो मे ही वर्तमान की अपेक्षा गुणो का अभाव है परन्तु फिर भी इन दोनो मे महान् अन्तर है । स्थापना निक्षेप मे तो न वह गुण पहिले कभी थे और न आगे कभी उत्पन्न होने की सम्भावना है पर द्रव्य निक्षेप में यद्यपि उस गुण का वर्तमान मे अभाव है पर भूत या भविष्यत मे उसकी सम्भावना अवश्य है । स्थापना निक्षेप तो उसी जाति के पदार्थों में भी किया जा सकता है, और भिन्न जाति के पदार्थ मे भी । जैसे रामलीला मे रामचन्द्रजी की स्थापना किसी चेतन लडके में की जाती है और उन्ही की स्थापना मन्दिर मे रखी अचेतन प्रतिमाओ मे भी की जाती है । परन्तु द्रव्य निक्षेप मे उस जाति के पदार्थ मे ही नाम का आरोप किया जाता है, जैसे डाक्टर किसी चेतन मनुष्य को ही कह सकते हैं, किसी मनृष्य की प्रतिमा को नही । अतः स्थापना की अपेक्षा द्रव्य निक्षेप सत्य के अधिक निकट है । द्रव्य निक्षेप के अनेकों भेद प्रभेद हो जाते है, और इसलिए यह विषय कुछ कठिन सा प्रतीत होता है । परन्तु यदि उपरोक्त लक्षण पर दृष्टि स्थिर रखी जाए तो उसके समझने मे कोई कठिनता न पड़ेगी । लोक मे मुख्यत. दो जाति के पदार्थ है - एक चेतन और दूसरे जड | जड़ पदार्थ भी दो प्रकार के है- एक चेतन के साथ रहने वाला शरीर और दूसरे अन्य दृष्ट पदार्थ । वास्तव मे तो यह सब दृष्ट पदार्थ भी कभी पहले किसी जीव के शरीर अवश्य रह चुके है, जैसे कि

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