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६ द्रव्य सामान्य
५. सामान्य व विशेष
तत्व परिचय विशेष है। उन्हे अवान्तर सत्ता भी कहते है । महा सत्ता व अवान्तर सत्ता का यह सक्षिप्त परिचय है। इसका विशद वर्णन आगे यथास्थान किया जायेगा । सत् के इन अवान्तर विशेषो मे भी निम्न प्रकार सामान्य व विशेष का विभाजन किया जा सकता है ।
द्रव्य की अपेक्षा जीव या अजीव जातिये सामान्य द्रव्य है, क्योकि इनके अन्तर्गत मनुष्य तिर्य च आदि अथवा पुन्दल धर्म, अधर्म, आकाश, काल आदि अन्य भेद प्रभेद पाये जाते है । इसे जीव या अजीव द्रव्य सामान्य कहते है, और इसके अन्तर्गत पाये जाने वाले उपरोक्त भेद उसके विशेष है । द्रव्य के इन विशेषो मे भी सामान्य व विशेष का विभाग किया जा सकता है । जैसे
मनुष्य जाति सामान्य मनुष्य है, क्योकि इसके अन्तर्गत आर्यम्लेच्छ अनेको जातिये, पाई जाती है । और इस मे पाये जाने वाले उपरोक्त भेद उसके विशेष है । आर्य म्लेच्छ आदि इन विशेषो मे भी सामान्य व विशेष का विभाग किया जा सकता है ।
___ आर्य मनुष्य सामान्य है, क्योकि इसके अन्तर्गत देवदत्त इन्द्रदत्त आदि अनेकों व्यक्ति पाये जाते है । और इसमे पाये जाने वाले उपरोक्त भेद विशष है । इसी प्रकार परमाण अजीव द्रव्य का अन्तिम विशेष है।
इस प्रकार सामान्य व विशेष विभाग की यह अटूट श्रृंखला तब तक चलती रहती है जब तक कि अन्तिम वह विशेष प्राप्त न हो जाये जिसमे कि अन्य भेद दिखाई न दे सके । इनमे से प्रथम विकल्प सर्वथा सामान्य है और अन्तिम विकल्प सर्वथा विशेष । इन के माध्य के सर्व भेद कथाञ्चित सामान्य व कथाञ्चित विशेप, है। सामान्य इसलिये कि उनमे अवान्तर भेद दिखाई देते है और विशेष इसलिये