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. ५. सम्यक व मिथ्या ज्ञान ७१ १०. वस्तु पढ़ने का उपाय हृदय पट पर अंकित कर । ऐसा कर चुकने पर उन खंडित भावो को पुनः ज्ञान मे अखंड रूप प्रदान कर, और देख क्या वैसा ही रूप बन पाया है जैसा कि मूलभूत वस्तु का उसे खडित करने से पहिले था ? यदि नही तो उन खडो को पुन. देख कि कौनसा खड ठीक स्थान पर बैठने नही पाया है। उसे यथास्थान पर बैठा कर फिर दोबारा इन सारे खंडों को एक अखडित रूप देकर देख और यह प्रक्रिया बराबर उस समय तक करता रह, जब तक कि वस्तु का वही रूप न बन जाये जो कि ,इसका था।
___जैसे कि एक मशीन को पढ़ने के लिये आवश्यक है कि पहिले इसे खोलकर इसके पुर्जे पुर्जे कर दे । फिर इन पुर्जो को यथास्थान जोडने का प्रयत्न करते हुए इन्हे एक अखड रूप दे, और देख मशीन काम करने लगी या नहीं। यदि नही तो पुनः परीक्षा कर, गरारियो को इधर से उधर पलट पलटा कर लगाकर देख, और उस समय तक बराबर ऐसा करता रह जब तक कि मशीन काम न करने लगे। यद्यपि पहिली बार ऐसा करने मे तुझे बहुत परिश्रम करना पडेगा, बुद्धि पर भी बहुत जोर देना पड़ेगा पर आगे को यह काम तेरे लिये बच्चो का खेल हो जायगा । स्वत. एक भी कोई पुर्जा टूट जाय या बिगड़ जाय तो आख मीच कर ठीक कर देगा। इसी प्रकार वस्तु का विश्लेषण करके जोड़ने मे एक बार तो बुद्धि पर बहुत जोर देना पड़ेगा ही।
देख अब वस्तु का विश्लेषण करता हूँ। उस अखडित रूप को ! खंडित करके उसे एक धारा के रूप में परिवर्तित करता हूँ। पहिले बताया जा चुका है कि अनेको आगे पीछे होने वाली अपनी पर्यायो का पिड तो एक गुण है और एक ही समय मे साथ साथ रहने वाले ऐसे अनेको पृथक पृथक गुणो का पिड वस्तु है । गुण एक साथ रहते है और पर्याय आगे पीछे । ये गुण और पर्याये ही वस्तु के अग है।